इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक बार फिर कहा है कि लड़का या लड़की वयस्क होने पर अपने पसंद के व्यक्ति के साथ शादी करने या साथ रहने के लिए स्वतंत्र है और उसके माता पिता समेत कोई भी व्यक्ति साथी चुनने की स्वतंत्रता के उसके अधिकार में हस्तक्षेप नहीं कर सकता. न्यायमूर्ति सुरेन्द्र सिंह ने एक साथ रह रहे अलग-अलग धर्म के व्यक्तियों द्वारा दायर एक संयुक्त याचिका का मंगलवार को निस्तारण करते हुए निर्देश दिया कि यदि याचिकाकर्ताओं के शांतिपूर्ण जीवन में किसी तरह का खलल डाला जाता है तो वे इस आदेश की प्रति के साथ संबंधित पुलिस अधीक्षक से संपर्क करेंगे जो उन्हें तत्काल सुरक्षा मुहैया कराएंगे.
मौजूदा रिट याचिका में मुस्लिम लड़की और हिंदू लड़के ने अदालत से यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि उनके परिजन, उनकी शांतिपूर्ण जिंदगी में दखल न दें. इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं ने पुलिस सुरक्षा दिए जाने का भी अनुरोध किया था.
याचिकाकर्ताओं के वकील ने दलील दी कि दोनों याचिकाकर्ता बालिग हैं और अपनी इच्छा से साथ रह रहे हैं.
उन्होंने कहा कि लड़की की मां और उसके परिजन इस संबंध के खिलाफ हैं और लड़की की मां अन्य परिजनों के साथ मिलकर याचिकाकर्ताओं को परेशान कर रही है , साथ ही उसने गंभीर परिणाम भुगतने की भी धमकी दी है.
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