
- त्योहारों के मौसम में दूध, मसाले, मिठाइयां और तेल जैसे खाद्य पदार्थों में मिलावट का खतरा तेजी से बढ़ जाता है.
- खाद्य उत्पादों के सैंपल्स में 60 से 80 प्रतिशत तक मिलावट पाई गई, जिससे स्वास्थ्य प्रभावित हुआ.
- ऑरिगा रिसर्च के अनुसार दूध, तेल और फैट वाले उत्पादों में त्योहारों के दौरान मिलावट की संभावना अधिक रहती है.
त्योहारों का मौसम नजदीक आते ही खाद्य पदार्थों में मिलावट का खतरा तेजी से बढ़ जाता है. हाल की जांचों में आए नतीजों ने चिंता और बढ़ा दी. दूध के प्रोडक्ट से लेकर दैनिक प्रयोग की चीजों में मिलावट की जा रही है, जिसका बुरा असर लोगों के स्वस्थ्य पर पड़ रहा है. नवरात्रि के पहले दिन ही दिल्ली के जहांगीरपुरी में कुट्टू का आटा खाने से ढाई सौ लोग बीमार पड़ गए.
पिछले महीने नोएडा में लिए गए 60% से ज्यादा फूड सैंपल टेस्ट में फेल पाए गए. सांगली में 30000 लीटर मिलावटी दूध को नष्ट करना पड़ा और नोएडा ग्रेटर नोएडा में 80% से अधिक पनीर के सैंपल सुरक्षा मानकों पर खड़ा नहीं उतरे. देशभर में मसालों के लगभग 12% सैंपल और सुरक्षित पाए गए.
एक्सपर्ट्स का भी कहना है कि त्योहारों के मौसम नजदीक आते ही मिठाइयां, डेयरी उत्पाद, तेल और मसाले जैसी चीजों में मिलावट काफी तेजी से बढ़ जाती. ऐसे में मुनाफा के लिए व्यापारी मिलावट करता है.
ऑरिगा रिसर्च के डॉ. सौरभ अरोड़ा ने कहा कि अब से लेकर न्यू ईयर तक लगातार दूध, तेल और फैट के जुड़े प्रोडक्ट्स में की खपत बढ़ जाती है. क्योंकि ऐसे वक्त में उनकी डिमांड काफी रहती है यही वजह है कि उसमें मुनाफे के फेर में मिलावट होती है. पूरे साल का डाटा देखेंगे तो दाल और पल्स में एक से दो परसेंट सैंपल फेल होते हैं. त्योहार के मौसम में दूध की बनी जो प्रोडक्ट्स हैं उसमें ज्यादा सैंपल फेल होने का चांस रहता है. दूध में पानी डाल दिया जाता है कोई में स्टार्ट डाल दिया जाता है.
लेकिन खाद्य पदार्थों में किस प्रकार की मिलावट हो रही है, ये जानने के लिए हम एक लैब में पहुंचे और देखा कि कैसे मिलावटी चीज की पहचान की जा रही है. एक्सपर्ट्स ने बताया कि चार प्रकार से मिलावट की जाती है. ऑरिगा रिसर्च के डॉ सौरभ अरोड़ा ने कहा कि पहले फूड अल्टरेशन होता है, दूसरा पेस्टिसाइड, तीसरी जांच माइक्रोबायोलॉजी की होती है कि कहीं पदार्थ में रोगजनकों तो नहीं है और चौथा मेटल की जांच की जाती है.
FSSAI के डाटा के अनुसार, पिछले कुछ सालों में लिए गए सैंपल्स में से 20–26% तक नियमों पर खरे नहीं उतरे. 2021–22 में 23% सैंपल्स खराब पाए गए. साल 2018 से 2022 के बीच दूध पर हुई राष्ट्रीय जांच में 0.2% से भी कम मिलावट के मामाले मिले. लेकिन दूध से बनी मिठाइयों और खासकर खोया वाली मिठाइयों में गड़बड़ी ज्यादा होती है. 2020 की एक जांच में करीब 40% मिठाई सैंपल क्वालिटी टेस्ट में फेल हुए.
खाद्य पदार्थों में मिलावट जैसे मिठाइयों में सिंथेटिक रंग, पनीर में स्टार्च या दूध में डिटर्जेंट न सिर्फ खाने की गुणवत्ता बिगाड़ते हैं, बल्कि स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डालते हैं, जिनकी वजह से गैस्ट्रिक समस्या से लेकर लंबे समय में किडनी और हार्ट से जुड़ी बीमारियाँ तक हो रही हैं.
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