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अदाणी इंटरनेशनल स्कूल ने मेरा बहुत सपोर्ट किया... अहान ने कलर ब्लाइंड बच्चों के लिए बनाया मशीन लर्निंग मॉडल

अहान ने बताया कि अदाणी इंटरनेशनल स्कूल की प्रमोटर नम्रता अदाणी ने इस सफ़र में मेरा बहुत साथ दिया और उनके प्रोत्साहन ने ही उन्हें समाज में योगदान देने में मदद की. उन्होंने कहा कि अदाणी स्कूल ने मुझे एक प्लेटफॉर्म दिया.

अदाणी इंटरनेशनल स्कूल ने मेरा बहुत सपोर्ट किया... अहान ने कलर ब्लाइंड बच्चों के लिए बनाया मशीन लर्निंग मॉडल
  • अदाणी इंटरनेशनल स्कूल के छात्र अहान प्रजापति ने कलर ब्लाइंड बच्चों के लिए मशीन-लर्निंग मॉडल विकसित किया है.
  • अहान ने अपने सोशल प्रोजेक्ट के तहत 120 से अधिक छात्रों में कलर ब्लाइंडनेस की समस्या पाई.
  • अहान का विकसित मॉडल टेक्स्टबुक डायग्राम और मैप को मोडिफाई करने में 99.7% सटीकता हासिल करता है.
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अहमदाबाद (गुजरात):

अदाणी इंटरनेशनल स्कूल के छात्र अहान रितेश प्रजापति ने प्रतिष्ठित क्रेस्ट गोल्ड अवार्ड (यूके) जीता है. ग्लोबल एकेडमिक प्लेटफॉर्म पर उनका सम्मान भी किया गया है. दरअसल जो लोग जन्म से ही लाल और हरे रंग की पहचान की समस्या से पीड़ित रहते हैं, उनके लिए अहान ने एक मशीन-लर्निंग मॉडल विकसित किया है. सिर्फ 17 साल की उम्र में उन्होंने कलर ब्लाइंड बच्चों के लिए ऐसा मॉडल बनाया है, जो किताबों में बनी तस्वीरें और नक्शों को पहचान के लिए बेहद आसान बना देता है.

अहान प्रजापति ने बताया कि उनके स्कूल के सपोर्ट ने उनके इस सफर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. समाज में इस सकारात्मक बदलाव लाने के मौके के लिए मैं अदाणी इंटरनेशनल स्कूल का बहुत आभारी हूं. उन्होंने कहा कि बचपन में उन्हें लैब में एक्सपेरिमेंट और आर्ट एंड क्रॉफ्ट क्लास के दौरान काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था. वहां वो रंगों की पहचान नहीं कर पाते थे. धीरे-धीरे उनके माता-पिता को भी इसका एहसास हुआ.

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उन्होंने कहा, "चौथी कक्षा में, जांच के दौरान मुझे लाल और हरे रंग के ब्लाइंडनेस का पता चला, तो मुझे लगा कि कई और भी छात्र इसी समस्या का सामना कर रहे होंगे और उन्हें अपनी इस स्थिति का पता भी नहीं होगा. फिर मैंने इसे 'एडिंग कलर्स' नाम के एक सोशल प्रोजेक्ट के तौर पर लिया और सरकारी तथा निजी स्कूलों के छात्रों पर इशिहारा परीक्षण किया गया."

अहान ने बताया कि वह 30 से ज़्यादा स्कूलों में गए और वहां लगभग 120 छात्रों में कलर ब्लाइंडनेस की समस्या देखी गई. उन्होंने कहा कि एविएशन, डिफेंस फोर्स और रेलवे में कई ऐसी नौकरियां हैं जहां कलर ब्लाइंडनेस की समस्या वाले उम्मीदवार को एलिजिबल नहीं माना जाता.

उन्होंने कहा, "मैंने एक प्रोजेक्ट शुरू किया, जिसमें मैंने कलर ब्लाइंड वाले छात्रों के लिए इमेज को बेहतर बनाने को लेकर एक कम्प्यूटेशनल स्टडी किया, ताकि वे उन तस्वीरों को बेहतर ढंग से देख सकें. शुरुआत में, मैंने अपने होम टाउन आणंद से इसकी शुरुआत की, लेकिन बाद में, जब मैं अदाणी इंटरनेशनल स्कूल गया, तो मेरे स्कूल ने मेरा बहुत सपोर्ट किया और मुझे एक मंच दिया, ताकि मैं स्कूल में और गोकुल आश्रम स्कूल में टेस्ट कर सकूं."

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उनका मशीन-लर्निंग मॉडल, जो कलर ब्लाइंड छात्रों के लिए टेक्स्ट बुक डायग्राम और मैप को मोडिफाई करने में सक्षम है, इसने 99.7% सटीकता हासिल की है. इस इनोवेशन के लिए उन्हें हाल ही में प्रतिष्ठित क्रेस्ट गोल्ड अवार्ड (यूके) से सम्मानित किया गया.

अहान ने बताया कि अदाणी इंटरनेशनल स्कूल की प्रमोटर नम्रता अदाणी ने इस सफ़र में मेरा बहुत साथ दिया और उनके प्रोत्साहन ने ही उन्हें समाज में योगदान देने में मदद की. उन्होंने कहा कि नम्रता अदाणी ने मुझे एक प्लेटफॉर्म दिया.

नम्रता अदाणी ने कहा कि अहान जैसे केस अदाणी इंटरनेशनल स्कूल के बड़े विजन को दर्शाते हैं कि यह एक ऐसा संस्थान है जो न केवल उपलब्धि हासिल करने वालों, बल्कि बदलाव लाने वालों को भी आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि शिक्षा को पाठ्यपुस्तकों से आगे बढ़ना चाहिए. इसे ऐसे ही उदाहरण सामने आने चाहिए जो जीवन को प्रभावित करने वाले हों."

अहान प्रजापति के इस मिशन की शुरुआत गुजरात के आणंद में हुई, जहां डॉ. शिवानी भट्ट चैरिटेबल फ़ाउंडेशन के सहयोग से उन्होंने चार ज़िलों में कलर ब्लाइंडनेस जांच शिविर आयोजित किए. 10,000 से ज़्यादा छात्रों का परीक्षण किया गया और 131 छात्रों में से ज्यादातर को पहली बार पता चला कि वे कलर ब्लाइंड हैं. कई लोगों के लिए, यह जीवन बदल देने वाली बात थी.

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समस्या का हल निकालने के लिए दृढ़ संकल्पित, अहान ने न केवल अपना एआई संचालित मॉडल तैयार किया, बल्कि क्लास को ज्यादा सेंसेटिव और हेल्पफुल बनाया. उनके काम को आईआईटी-दिल्ली में एआई और स्वास्थ्य सेवा पर इंडो-फ्रेंच सम्मेलन में प्रदर्शित किया गया है और यह न्यूयॉर्क के इंटरनेशनल जर्नल ऑफ हाई स्कूल रिसर्च में प्रकाशित होने वाला है.

अहान ने कहा कि, असली इनाम उन बच्चों की मुस्कान में है जो आखिरकार महसूस करते हैं कि उनकी बात अब समझी जा रही है. वो इसे अब पूरे देश में फैलाना चाहते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चों को मदद मिल सके. उन्होंने स्कूलों में कलर ब्लाइंडनेस की जांच अनिवार्य करने की भी वकालत की और कहा कि अगर मेरे काम की वजह से एक भी बच्चा बेहतर समझ पाता है, तो मैं इसे अपनी सफलता मानता हूं.

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(Disclaimer: New Delhi Television is a subsidiary of AMG Media Networks Limited, an Adani Group Company.)

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