कांग्रेस ने मनरेगा के स्थान पर केंद्र सरकार द्वारा नया कानून बनाने की तैयारियों के बीच सोमवार को दावा किया कि इस योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाया जाना यह दिखाता है कि बापू के प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रेम दिखावटी है. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि यह मनरेगा को खत्म करने की साजिश है और सरकार का यह कदम महात्मा गांधी का अपमान है. वहीं, शशि थरूर ने भी प्रतिक्रिया दी है.
सरकार ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम' (मनरेगा) को निरस्त करने और इस संबंध में एक नया कानून बनाने के लिए लोकसभा में विधेयक ला सकती है. नए विधेयक का नाम ‘विकसित भारत-रोजगार और आजीविका गारंटी मिशन (ग्रामीण)' (विकसित भारत- जी राम जी) विधेयक, 2025' होगा.
खरगे ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘यह केवल महात्मा गांधी नरेगा का नाम बदलने की बात नहीं है. यह भाजपा-आरएसएस की मनरेगा को ख़त्म करनी साज़िश है. संघ के सौ साल पर गांधी का नाम मिटाना ये दिखाता है कि जो मोदी जी विदेशी धरती पर बापू को फूल चढ़ाते हैं, वो कितने खोखले और दिखावटी हैं.''
उन्होंने कहा कि जो सरकार ग़रीब के हक़ से चिढ़ती हो, वही मनरेगा पर वार करती है. खरगे ने कहा, ‘‘इस अहंकारी सत्ता के ग़रीब और मज़दूर विरोधी किसी भी निर्णय का कांग्रेस पार्टी संसद और सड़क पर पुरज़ोर विरोध करेगी. हम सत्ता को करोड़ों ग़रीब, मज़दूरों और कामगारों के हकों को छीनने नहीं देगें.''
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब भी किसी योजना का नाम बदला जाता है, तो कार्यालयों, स्टेशनरी में बहुत सारे बदलाव करने पड़ते हैं...जिसके लिए पैसा खर्च किया जाता है. तो, क्या फायदा है? ऐसा क्यों किया जा रहा है?''
उन्होंने कहा, ‘‘महात्मा गांधी का नाम क्यों हटाया जा रहा है. महात्मा गांधी न केवल देश में, बल्कि दुनिया में सबसे बड़े नेता माने जाते हैं. इसलिए उनका नाम हटाना, मुझे वास्तव में समझ में नहीं आता कि उद्देश्य क्या है. उनका (सरकार) इरादा क्या है?''
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सोमवार को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का नाम बदलने को लेकर उठे विवाद को “दुर्भाग्यपूर्ण” करार दिया. थरूर ने कहा कि इससे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की विरासत को ठेस पहुंचाने का खतरा है. उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की पहल से एक कृत्रिम वैचारिक विभाजन पैदा किया जा रहा है, जबकि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स' पर लिखा, “सरकार के प्रस्तावित नए जी-राम-जी विधेयक में मनरेगा का नाम बदलने को लेकर जो विवाद खड़ा हुआ है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है. ग्राम स्वराज की अवधारणा और राम राज्य का आदर्श कभी परस्पर विरोधी नहीं रहे, बल्कि ये गांधीजी की चेतना के दो स्तंभ थे.”
थरूर ने आगे कहा, “ग्रामीण गरीबों से जुड़ी योजना से महात्मा गांधी का नाम हटाना इस गहरे समन्वय की अनदेखी है. गांधीजी की अंतिम सांस भी ‘राम' के स्मरण के साथ थी. जहां कोई विभाजन नहीं था, वहां विभाजन पैदा कर उनकी विरासत का अपमान नहीं होना चाहिए.”
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