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This Article is From Mar 18, 2011

आरूषि मामला : तलवार दंपती की याचिका खारिज

इलाहाबाद: दंत चिकित्सक दंपती राजेश और नुपुर तलवार को शुक्रवार को एक और झटका लगा जब इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज की कर दी। अपनी बेटी आरूषि तलवार और नौकर हेमराज की हत्या के मामले में अपने खिलाफ प्रक्रिया शुरू होने और समन के खिलाफ उन्होंने याचिका दायर की थी। अदालत में पेश होने में विफल रहने के कारण जमानती वारंट जारी करने और अदालती प्रक्रिया शुरू करने के गाजियाबाद में सीबीआई अदालत के नौ फरवरी को आए आदेश के खिलाफ दायर की गई याचिकाओं पर उच्च न्यायालय की दो पीठों ने अलग अलग आदेश सुनाए। नुपुर तलवार की याचिका पर फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति बालाकृष्ण नारायण ने कहा, अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ प्रथम दृष्टतया पर्याप्त सबूत हैं तो मजिस्ट्रेट द्वारा उसके खिलाफ जारी समन को रोकने का कोई प्रावधान नहीं है। उन्होंने सीबीआई अदालत के आदेश को इस आधार पर चुनौति दी कि एजेंसी ने अपनी पूरी जांच के दौरान कभी भी पूछताछ के लिए नहीं बुलाया और ना ही आरोपी के तौर पर उनका नाम लिया। इसलिए उनके खिलाफ समन नहीं जारी होना चाहिए था। उच्च न्यायालय ने हालांकि नुपुर तलवार को दो हफ्तों के भीतर निचली अदालत में हाजिर होने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा, वह वहां अपना जमानत आवेदन जमा कर सकती हैं और इसपर उसी दिन विचार हो सकता है। 28 फरवरी को गाजियाबाद अदालत से जारी किए गए जमानती वारंट के खिलाफ राजेश तलवार द्वारा एक अन्य याचिका को न्यायमूर्ति रविंद्र सिंह ने खारिज कर दिया। सीबीआई अदालत में बुधवार को होने वाली सुनवाई में दंपती के पेश होने की संभावना है। 14 साल की आरूषि को नोएडा स्थित उसके आवास में 16 मई 2008 को मृत पाया गया था और अगले दिन उसी मकान से हेमराज का शव भी बरामद किया गया था। राजेश तलवार ने सीबीआई अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि वह नियमित जमानत पर बाहर हैं इस वजह से निचली अदालत को बिना इस जमानत को रद्द किए बिना जमानती वारंट नहीं जारी करने चाहिए। तलवार की दलील का सीबीआई और उत्तर प्रदेश सरकार ने विरोध किया और उनके वकीलों ने कहा कि जमानती वारंट का उद्देश्य केवल आरोपी को सुनवाई अदालत के सामने पेश करने को सुनिश्चित करने के लिए होता है। तलवार के वकील समित गोपाल ने कहा कि आदेशों के खिलाफ तलवार दंपती उच्चतम न्यायालय जा सकते हैं। सीबीआई के वकील ने फैसले को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा, दंपती को समन जारी किया गया है और सीबीआई अदालत के समन आदेश को उच्च न्यायालय ने बहाल रखा है। उच्च न्यायालय ने मामले पर फैसला सुनाया और कहा कि सीबीआई अदालत के फैसले में किसी तरह की कानूनी गड़बड़ी नहीं थी। शुरूआत में उत्तर प्रदेश की पुलिस ने संकेत दिया था कि आपत्तिजनक अवस्था में देखे जाने के बाद लड़की और नौकर की हत्या आरूषि के पिता ने की। पुलिस के इस दावे से उपजे हो हल्ले के बाद मायावती सरकार ने मामले को सीबीआई को सौंप दिया था। जांच के दौरान सीबीआई ने राजेश तलवार से सघन पूछताछ की और उनका नार्को टेस्ट और ब्रेन मैपिंग भी किया। अंतत: जांच एजेंसी ने इस साल की शुरूआत में क्लोजर रिपोर्ट सौंप दी लेकिन मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने कहा कि मृतक लड़की के माता पिता के खिलाफ प्रक्रिया शुरू करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं।

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