प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के एक बयान के बाद देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) यानी UCC को लेकर नई बहस छिड़ गई है. इस मुद्दे पर मोदी सरकार (Modi Government) को आम आदमी पार्टी (AAP) का साथ मिलता दिख रहा है. बुधवार को आम आदमी पार्टी के संगठन महासचिव संदीप पाठक ने एक इंटरव्यू में कहा कि आप UCC का सैद्धांतिक समर्थन करती है.
आम आदमी पार्टी ने UCC पर शायद यह कहकर अपने गढ़ पंजाब में खुद के लिए समस्या खड़ी कर दी है. संदीप पाठक के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए शिरोमणि अकाली दल के नेता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि उन्होंने आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल का 'असली चेहरा' उजागर कर दिया है.
संदीप पाठक ने इंटरव्यू में कहा, 'आर्टिकल 44 भी यह कहता है कि UCC होना चाहिए, लेकिन आम आदमी पार्टी का यह मानना है कि इस मुद्दे पर सभी धर्म और राजनीतिक से बातचीत होनी चाहिए. सबकी सहमति के बाद ही इसे लागू किया जाना चाहिए.' इस पर डॉ. चीमा ने कहा, "जब संविधान का मसौदा तैयार किया गया था, तो समान नागरिक संहिता राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों में थी, न कि मौलिक अधिकार में."
AAP की पंजाब इकाई के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कंग ने भी कहा कि भारत में सभी धर्मों के लोग रहते हैं और उनके अलग-अलग धार्मिक रीति-रिवाज़ हैं, इसलिए केंद्र सरकार को सभी धर्मों, राज्यों और वर्गों के प्रतिनिधियों की राय पर विचार करने के बाद ही समान नागरिक संहिता लागू करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता में सभी धर्मों को पूरा सम्मान मिलना चाहिए. दिल्ली में AAP सरकार द्वारा लागू किए गए 'आनंद कारज अधिनियम' के साथ-साथ अन्य धर्मों के धार्मिक रीति-रिवाज़ों का भी पूरा सम्मान किया जाना चाहिए.
क्या कहता है नीति निदेशक सिद्धांत?
संविधान कई नीति निदेशक सिद्धांत निर्धारित करता है. इसमें कहा गया है, "इस भाग में निहित प्रावधान किसी भी अदालत द्वारा लागू नहीं किए जाएंगे, लेकिन इसमें निर्धारित सिद्धांत देश के शासन में मौलिक हैं और कानून बनाने में इन सिद्धांतों को लागू करना राज्य का कर्तव्य होगा."
विधि आयोग UCC पर नए सिरे से कर रही विचार
21वें विधि आयोग ने 2018 के परामर्श पत्र में कहा था कि समान नागरिक संहिता इस स्तर पर न तो आवश्यक है और न ही वांछनीय है. 22वें विधि आयोग ने अब इस विषय पर नए सिरे से विचार करना शुरू कर दिया है. आयोग ने समान नागरिक संहिता पर राय भी मांगी है.
समान नागरिक संहिता पर आम आदमी पार्टी की टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भोपाल में दिए गए बयान के बाद आई है. यूसीसी पर पीएम मोदी के बयान से यह संकेत दिया गया है कि अगले साल होने वाले आम चुनाव (लोकसभा चुनाव) में यूसीसी बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा होगा. हालांकि, आप के लिए समान नागरिक संहिता का समर्थन करना पंजाब में समस्याएं पैदा कर सकता है, जहां वह पिछले साल सत्ता में आई थी.
दिल्ली में सिख एक प्रभावशाली समुदाय
पंजाब की आबादी में सिखों की हिस्सेदारी करीब 60 फीसदी है. यह आप के गढ़ दिल्ली में भी एक प्रभावशाली समुदाय है. समुदाय के प्रमुख नेता और संगठन सिख समुदाय की विशिष्ट पहचान को रेखांकित कर रहे हैं. सिख संगठनों ने बीजेपी पर बड़े हिंदुत्व के प्रयास के तहत उनके इतिहास को विकृत करने का आरोप भी लगाया है.
SGPC ने कहा था- UCC हिंदू राष्ट्र बनाने का एक कदम
पिछले साल पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में गुरुद्वारों को नियंत्रित करने वाली शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने समान नागरिक संहिता के खिलाफ एक बयान जारी किया था. समिति ने कहा था कि यह देश के हित में नहीं है. एसजीपीसी ने कहा था, "यह योजना देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की दिशा में एक और कदम है. केंद्र की बीजेपी सरकार देश पर आरएसएस का एजेंडा थोपने की कोशिश कर रही है. यूसीसी लागू करने की योजना भी इसका एक हिस्सा है."
अकाली दल को मिला नया मौका
एसजीपीसी में फिलहाल अकाली दल के सदस्यों का दबदबा है. इसने बार-बार भगवंत मान सरकार के साथ टकराव की स्थिति पैदा की है. समान नागरिक संहिता पर आप की टिप्पणी से पंथक पार्टी अकाली दल को अब अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन वापस पाने का मौका दिख रहा है.
ये भी पढ़ें:-
आखिर BJP लोकसभा चुनाव 2024 से पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड पर क्यों दे रही है जोर?
"कानून का रास्ता..." : यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बहस के बीच मौलाना अरशद मदनी
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं