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मेरे आंखों में नींद की जगह डर तैर रहा था... धराली जा रहे NDTV रिपोर्टर की आंखोंदेखी

उत्तरकाशी जाने के लिए हम जैसे जैसे आगे बढ़ रहे थे वैसे ही बारिश और तेज होते जा रही थी. ऋषिकेश पहुंचने के बाद हमें पता चला कि आगे कुछ किलोमीटर दूर रास्ता बंद है.

धराली में अभी भी रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है

  • उत्तरकाशी में भारी बारिश और भूस्खलन के कारण सड़कें बंद हो गईं और यातायात प्रभावित हुआ था.
  • मूसलाधार बारिश में कई जगहों पर रास्ते पर मलबा आ गया जिससे आपदा राहत कार्यों में बाधा आई.
  • ग़ुलनानी के पास मुख्य पुल बह जाने से धराली और हर्सिल जाने वाले रास्ते बाधित हो गए थे.
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दिल्ली विधानसभा की कार्रवाई कवर करते हुए आधे घंटे ही बीता था कि आफिस से फ़ोन आया कि आप तुरंत उत्तरकाशी के लिए निकल जाएं. बहुत बड़ी आपदा आई है. फ़ोन पर सीनियर की बात सुनकर मैं तुरंत कमरे से बाहर निकला और बिना वक्त गवाए उत्तरकाशी की ओर रवाना हो गया लेकिन जैसे ही मैं रुड़की के आगे निकला, एकाएक बारिश शुरू हो गई. बारिश ने गाड़ी की रफ़्तार को धीमी कर दी. हरिद्वार पहुंचते-पहुंचते बारिश एक लय एक सख़्ती के साथ बरस रही थी. मैदान की बारिश पहले तेज फिर धीमी होती जाती है. लेकिन यहां ऐसा नहीं था. ऋषिकेश पहुंचते-पहुंचते मुझे नौ बज गए. 

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मूसलाधार बारिश की वजह से कीचड़ के साथ पानी तेज़ी से सड़क पर बह रहा था. कुछ देर बाद एक पत्रकार दोस्त का फ़ोन आया कि ऋषिकेश से दस किमी आगे उत्तरकाशी की तरफ़ जाने पर पानी के साथ मलबा सड़क पर आ गया है और रास्ता बंद है. मैंने तुरंत हरिद्वार के ADM मनीष सिंह जी को फ़ोन किया बोले बारिश तेज है आप जल्दी निकल जाए वरना लैंड स्लाइड का कोई भरोसा नहीं कब रास्ता बंद हो जाए. इतना सुनते ही मैं जल्दी खाना खाकर निकला लेकिन दस किमी आगे ही पहला लैंड स्लाइड मिला.

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कलेजे पर पत्थर रखकर तेज बहते पानी से गाड़ी निकाल ली. उस जगह से जैसे ही मैं निकला बारिश बढ़ी और रास्ता बंद हो गया मेरे सहयोगी अंकित और मीनाक्षी भी फंस गए. अंधेरी रात , मूसलाधार बारिश… मेरे आंखों में नींद की जगह एक डर तैर रहा था, लेकिन बंदर पूंछ की जगह पहाड़ का एक पूरा हिस्सा सड़क पर आ गया था. कुछ देर इंतज़ार करने के बाद हमने दूसरा रास्ता पकड़ा तब तक भोर हो चुकी थी जैसे ही हम नीलू पानी पहुंचे पता चला यहां भी लैंडस्लाइड.

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पांच घंटे लगातार वहीं से लाइव और इंतज़ार करते बीत गए. तीन बजे मैं उत्तर काशी से क़रीब 60 km दूर ग़ुलनानी पहुंचा लेकिन 10-15 KM पैदल और लिफ्ट लेकर वहां से हर्सिल और धराली जाने की मेरी योजना कामयाब नहीं हो सकी. ग़ुलनानी के पास BRO का पूरा पुल बह गया. घटना को 48 घंटे बीतने को हैं लेकिन धराली अभी तक NDRF और SDRF की टीम नहीं पहुंच पाई. हमारा भी धराली गांव जाने की कोशिश बेकार गई लेकिन हेलीकॉप्टर से कई लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने का सिलसिला जारी थी.
 

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