
- दिल्ली विधानसभा में विवादित भवन को लेकर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच फांसी घर या टिफिन घर को लेकर मतभेद है.
- बीजेपी का दावा है कि यह भवन कभी फांसी घर नहीं था, बल्कि इसका उपयोग बर्तन धोने और रखने के लिए होता था.
- AAP ने इसे फांसी घर बताया और कहा कि गूगल पर इसकी जानकारी उपलब्ध है, लेकिन विशेषज्ञों ने इसे खारिज किया.
दिल्ली विधानसभा में फांसी घर या टिफिन घर? इसे लेकर विवाद बढ़ता दिख रहा है. भारतीय जनता पार्टी ने अरविंद केजरीवाल पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने जिसे फांसी घर बताया वो असल में एक टिफिन घर था. और इसे लेकर जानबूझकर गलत सूचनाएं फैलाई गई. बीजेपी का कहना है कि इतिहास में ऐसे कोई सबूत नहीं मिलते हैं जिससे की ये कहा जा सके कि दिल्ली विधानसभा के अंदर फांसी दी जाती थी. आपको बता दें कि दिल्ली विधानसभा का निर्माण 1912 में कराया गया था.
दिल्ली विधानसभा में इस घर को लेकर बुधवार को विवाद बढ़ गया. आम आदमी पार्टी के विधायकों ने कहा कि अगर कोई इसे लेकर गूगल करेगा तो आपको पता चलेगा कि ये एक फांसी घर था. आम आदमी पार्टी के नेताओं के इस दावे के बाद विधानसभा स्पीकर ने कहा कि जब उन्होंने एक्सपर्ट कमेटी बुलाई और ASI की टीम ने यहां को लेकर रिपोर्ट दी और जब इसे लेकर जेएनयू और डीयू के एक्सपर्ट से भी पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इतिहास में इसे लेकर ऐसा कोई विवरण नहीं मिलता है. ऐसे में इसे फांसी घर बताना गलत होगा.

NDTV विधानसभा के उस फांसी घर में पहुंचा जिसे लेकर आम आदमी पार्टी (आप) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अलग-अलग दावे कर रही हैं. इसका निर्माण तत्कालीन स्पीकर ने करवाया था. बताया जाता है कि इसके निर्माण में 1 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्चा आया है. मौजूदा विधानसभा स्पीकर विजेंद्र गु्प्ता ने बुधवार को पत्रकारों को लेकर यहां पहुंचे और उन्होंने बताया कि इस इमारत को जैसे फांसी घर बताने की कोशिश हो रही है वो सही या झूठ है.
विधानसभा परिसर के अंदर बने इस घर में राणा रत्नसिंह, मणिराम दीवान, बसंत कुमार विश्वास से लेकर तमाम अन्य लोगों की तस्वीरें लगी हुई हैं, जिनके बारे में कहा गया कि उनको यहीं फांसी दी गई थी. इस इमारत को फांसी घर बताया जा रहा है. जबकि भाजपा ऐसे किसी भी दावे को गलत बता रही है.
दीवारों पर लगी है शहीदों की तस्वीरें
NDTV ने जब इस इमारत के अंदर जाकर इसका जायजा लिया तो हमे अंदर की दीवारों पर शहीदों की तस्वीरें लगी दिखीं. साथ ही कई पुराने जूते-चप्पल भी अंदर संजो कर रखे गए हैं. बताया जाता है कि जिस समय इस भवन का निर्माण कराया गया था तो उस दौरान ये यहीं मिली थीं.

इस भवन के अंदर से सीढ़ियां नीचे जाती हैं
NDTV को इस भवन के अंदर एक सीढ़ी भी दिखी जो सीधे नीचे की तरफ ले जाती है. कहा जाता है कि ये रास्ता उस जगह तक लेकर जाता था जहां फांसी दी जाती थी. इस इमारत को बने 100 साल से ज्यादा का समय हो चुका था तो दिल्ली की पिछली सरकार (केजरीवाल सरकार) ने इस फांसी घर की मरम्मत का काम करवाया था. इस सीढ़ी को लेकर भी बीजेपी और आम आदमी पार्टी के अलग-अलग दावे हैं.

ऐसे शुरू हुआ विवाद
बुधवार को इस फांसी घर को लेकर विवाद शुरू हो गया. दिल्ली की मौजूदा सरकार ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने जिसे फांसी घर बताया था वो कभी फांसी घर था ही नहीं. बल्कि ये एक टिफिन घर था. और जो जिन सीढ़ियों को फांसी देने के लिए इस्तेमाल करने की बात कही जा रही है, उसका इस्तेमाल सिर्फ बर्तनों को साफ करने के बाद ऊपर कमरे तक ले जाने के लिए किया जाता था. बीजेपी के अनुसार इस घर में बर्तन धोए जाते थे.
फांसी घर का लगाया था बोर्ड
इस घर के अंदर एक ऐसा कोना भी जहां लकड़की की दो सिल्लियां लगी हुई हैं. आम आदमी पार्टी का दावा है कि इन्हीं सिल्लियों पर लटकार उस समय में लोगों को फांसी दी जाती थी. जबकि विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि इन सिल्लियों की मदद से उस जमाने ने खाने को नीचे पहुंचाया जाता था.
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