बिहार के भोजपुर जिले की एक अदालत ने 108 साल पुराने केस में फैसला सुनाया है. अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश श्वेता सिंह ने तीन एकड़ जमीन के एक टुकड़े को लेकर एक दीवानी विवाद में अतुल सिंह के पक्ष में फैसला सुनाकर उसके परदादा दरबारी सिंह के साथ 1914 में शुरू हुई कानूनी लड़ाई को खत्म किया.
वादी के वकील सतेंद्र सिंह ने न्यायाधीश को इसके लिए बधाई का पात्र बताते हुए कहा कि मामले से संबंधित दस्तावेजों को कीट-पतंगों द्वारा खा लिये जाने के बावजूद उन्होंने उन्हें खंगालने की परेशानी उठाई और आखिरकार 11 मार्च को फैसला सुनाया. उन्होंने कहा कि दरबारी सिंह ने नथुनी खान के परिवार के सदस्यों से वो जमीन खरीदी थी, जो कोइलवार नगर पंचायत क्षेत्र में आती है.
सतेंद्र सिंह ने बताया कि 1911 में खान की मृत्यु हो गई थी और उनके आश्रित अपनी संपत्ति के अधिकारों को लेकर आपस में झगड़ते रहे थे. भूमि नौ एकड़ की उस संपत्ति का हिस्सा थी, जो कानूनी पचड़े में फंस गई थी और ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार द्वारा जब्त कर ली गई थी.
वकील ने कहा, ‘‘न्यायाधीश ने कहा कि मेरे मुवक्किल अतुल सिंह अपनी जमीन छुड़ाने के लिए संबंधित अनुमंडल दंडाधिकारी के पास जा सकते हैं.'' उन्होंने कहा, ‘‘खान के परिवार का कोई भी सदस्य यहां नहीं है. वे सभी विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए थे. मेरे मुवक्किलों ने चार पीढ़ियों से मुकदमा लड़ा है.''
सतेंद्र सिंह ने कहा, ‘‘मुझे इस बात का संतोष है कि मैंने मामले का फैसला होते देखा है. इस केस को सबसे पहले मेरे दादा शिवव्रत नारायण सिंह ने लिया था, जिनकी मृत्यु के बाद मेरे दिवंगत पिता बद्री नारायण सिंह इस मामले में वकील के रूप में पेश हुए थे.''
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