प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC), यानी समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए कहा 'एक ही परिवार के अलग-अलग सदस्यों के लिए अलग-अलग नियम नहीं हो सकते,' और कोई भी देश दो क़ानूनों के आधार पर नहीं चल सकता. कुछ ही महीने में चुनाव का सामना करने जा रहे मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 'मेरा बूथ, सबसे मज़बूत' अभियान के अंतर्गत पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने मंगलवार को सवाल किया कि अगर 'ट्रिपल तलाक़' इस्लाम का अभिन्न अंग है, तो उसका पालन मुस्लिम-बहुल देशों मिस्र, इंडोनेशिया, कतर, जोर्डन, सीरिया, बांग्लादेश और पाकिस्तान में क्यों नहीं किया जाता. उन्होंने कहा कि 90 फीसदी सुन्नी मुस्लिम आबादी वाले मिस्र में 'ट्रिपल तलाक़' को 80-90 साल पहले ही खत्म कर दिया गया था.
प्रधानमंत्री ने भोपाल में कहा, "जो 'ट्रिपल तलाक़' की वकालत करते हैं, वे वोट बैंक के भूखे हैं, और मुस्लिम बेटियों के साथ घोर अन्याय कर रहे हैं..." PM नरेंद्र मोदी ने कहा कि 'ट्रिपल तलाक़' न सिर्फ़ महिलाओं की चिंता का विषय है, बल्कि यह समूचे परिवार को नष्ट कर देता है. जब किसी महिला को, जिसका निकाह बहुत उम्मीदों के साथ किसी शख्स से किया गया था, 'ट्रिपल तलाक़' देकर वापस भेज दी जाती है, माता-पिता और भाइयों को महिला की तकलीफ से बहुत पीड़ा होती है.
प्रधानमंत्री ने 'ट्रिपल तलाक़' का समर्थन करने वाले लोगों पर निशाना साधते हुए कहा, "कुछ लोग मुस्लिम बेटियों के सिर पर 'ट्रिपल तलाक़' का फ़ंदा लटकाए रखना चाहते हैं, ताकि उन्हें उनका शोषण करते रहने की आज़ादी मिल सके..."
उन्होंने कहा, "इसी वजह से मैं जहां भी जाता हूं, मुस्लिम बहनें और बेटियां BJP और मोदी के साथ खड़ी दिखाई देती हैं..."
PM ने UCC का विरोध करने वालों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे लोग अपने हितों को साधने के लिए कुछ लोगों को भड़का रहे हैं. उन्होंने कहा, "भारतीय मुसलमानों को समझना होगा कि कौन से राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए उन्हें भड़का रहे हैं और नष्ट कर रहे हैं..." उन्होंने कहा, हमारा संविधान भी सभी नागरिकों के लिए समान अधिकारों की बात करता है, और सुप्रीम कोर्ट ने भी UCC लागू करने को कहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'BJP पर आरोप लगाने वालों' की भी आलोचना करते हुए कहा कि अगर वे वास्तव में मुसलमानों के शुभचिंतक होते, तो समुदाय के अधिकांश परिवार शिक्षा और रोज़गार में पिछड़ नहीं रहे होते और कठिन जीवन जीने को मजबूर नहीं होते.
मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम तत्काल 'तीन तलाक' की प्रथा पर प्रतिबंध लगाता है और इसमें तीन साल तक की कैद का प्रावधान है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसे मामलों में अग्रिम जमानत देने पर कोई रोक नहीं है, बशर्ते अदालत गिरफ़्तारी-पूर्व ज़मानत मंज़ूर करने से पहले शिकायतकर्ता महिला को भी सुने.
समान नागरिक संहिता का अर्थ है देश के सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून होना, जो धर्म पर आधारित न हो. UCC में पर्सनल लॉ या विरसे के क़ानून, गोद लेने और उत्तराधिकार से जुड़े क़ानूनों को एक समान संहिता से संचालित किए जाने की संभावना है. उत्तराखंड जैसे राज्य अपना समान कोड तैयार करने की प्रक्रिया में हैं.
विधि आयोग ने भी इसी माह की शुरुआत में राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दे पर सार्वजनिक और मान्यताप्राप्त धार्मिक संगठनों सहित हितधारकों से विचार मांगकर UCC पर नई परामर्श प्रक्रिया शुरू की है.
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले सप्ताह कहा था कि समान नागरिक संहिता भारत के संविधान के निदेशक सिद्धांतों का हिस्सा है और विपक्ष इसे 'वोट बैंक की राजनीति' बताकर मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर रहा है.
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