
- 500 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले में पूर्व सांसद और दो बैंक अधिकारियों को ED ने गिरफ्तार किया है.
- जांच में पता चला कि बैंक अफसरों ने 100 से ज्यादा फर्जी लोन खाते खोलकर शेल कंपनियों के नाम पर लोन मंजूर किए थे.
- कुलदीप राय शर्मा और उनके साथियों ने करीब 230 करोड़ रुपये का व्यक्तिगत लाभ उठाया.
500 Crore Bank Fraud Case: बैंक जहां हम-आप खून-पसीने की मेहनत से कमाया हुआ पैसा बुरे वक्त के लिए जमा कर रखते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि बैंक के बड़े अधिकारी लोगों द्वारा जमा किए गए उन फैसों को फर्जी तरीके से निकाल कर उससे करोड़ों की काली कमाई कर लेते हैं. भारत के केंद्र शासित प्रदेश अंडमान-निकोबार से केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एक ऐसे ही मामले को उजागर किया है. यह मामला 500 करोड़ के घोटाले से जुड़ा है. जिसमें अंडमान-निकोबार के पूर्व सांसद और बैंक अफसर गिरफ्तार किए गए हैं. दरअसल प्रवर्तन निदेशालय ने अंडमान-निकोबार में पहली बार बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार किए गए तीन लोगों में एक पूर्व सांसद भी है.
500 करोड़ के बैंक फ्रॉड में ED ने इन तीन लोगों को गिरफ्तार किया.
- कुलदीप राय शर्मा, पूर्व सांसद और अंडमान-निकोबार स्टेट कोऑपरेटिव बैंक (ANSCBL) के पूर्व चेयरमैन
- के. मुरुगन, प्रबंध निदेशक (MD), ANSCBL
- के. कलैवनन, लोन ऑफिसर, ANSCBL
इन तीनों को 500 करोड़ रुपये से ज़्यादा के बैंक घोटाले के मामले में पकड़ा गया है. ED ने तीनों को गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट में पेश किया, जहाँ से कुलदीप राय शर्मा और के. कलैवनन को 8 दिन की ED कस्टडी में भेजा गया है.
यह केस अंडमान-निकोबार स्टेट कोऑपरेटिव बैंक से जुड़ा है. जांच में सामने आया कि बैंक अफसरों ने नियम तोड़कर 100 से ज्यादा फर्जी लोन अकाउंट्स खोले. शेल कंपनियों (कागज़ी कंपनियों) के नाम पर लोन मंजूर किए गए. करोड़ों रुपये अपने और साथियों के फायदे के लिए निकाले गए. इन पैसों को न चुकाने की मंशा से ही पूरा खेल रचा गया.
बैंक को हुआ 500 करोड़ से ज्यादा का नुकसान
अब तक की जांच में सामने आया है कि करीब 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान बैंक को हुआ. सिर्फ 230 करोड़ रुपये का फायदा सीधे तौर पर कुलदीप राय शर्मा और उनके करीबियों को हुआ. MD के. मुरुगन और लोन ऑफिसर के. कलैवनन ने अपने रिश्तेदारों के नाम पर भी लोन ले लिया. कई बार लोन मंजूर करने के बदले में 5% कमीशन लिया जाता था.
31 जुलाई और 1 अगस्त को 31 ठिकानों पर हुई थी छापेमारी
ये कमीशन कभी कैश में और कभी शेल कंपनियों के अकाउंट्स से लिया गया. इस मामले में ED पहले भी बड़ी छापेमारी कर चुकी है. 31 जुलाई और 1 अगस्त 2025 को 21 ठिकानों पर छापे पड़े थे. अब फिर से 3 जगहों पर तलाशी ली जा रही है. जांच में पता चला है कि लोन की बड़ी रकम को शेल कंपनियों के ज़रिए घुमाया गया और फिर कैश निकालकर वरिष्ठ बैंक अफसरों में बांटा गया.
ED का कहना है कि यह अंडमान-निकोबार का अब तक का सबसे बड़ा बैंक घोटाला है. मामले की जांच जारी है और आगे और गिरफ्तारियां हो सकती हैं.
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