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This Article is From Aug 06, 2022

सावधान : सस्ते टैटू बनवाने के चक्कर में फंस सकते हैं एचआईवी के फेरे में

वाराणसी में टैटू (Tatoo) बनाने के चक्कर में एचआईवी (HIV) के फेरे में फंसने की कहानी सिर्फ फसाना नहीं है बल्कि वाराणसी (Varanasi) में हकीकत में नजर आ रही है.

सावधान : सस्ते टैटू बनवाने के चक्कर में फंस सकते हैं एचआईवी के फेरे में
टैटू बनये जाने के लिये एक ही निडल का प्रयोग करा जा रहा था. 
वाराणसी:

वाराणसी में टैटू (Tatoo) बनाने के चक्कर में एचआईवी (HIV) के फेरे में फंसने की कहानी सिर्फ फसाना नहीं है बल्कि वाराणसी (Varanasi) में हकीकत में नजर आ रही है. वाराणसी स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल के एंटीरेट्रोवायरल ट्रीटमेंट की डॉ प्रीति अग्रवाल की माने तो हाल ही में कई ऐसे मामले सामने आए जिनमें मरीज एचआईवी पॉजिटिव तो था, लेकिन एचआईवी के पॉजिटिव होने के लिए जो चार मेन कारण माने जाते थे उनमें से किसी का संक्रमित व्यक्ति के साथ मेल नहीं खाता था. लिहाजा ज्यादा काउंसलिंग करने और डिटेल में पता करने पर पता चला कि इन सभी मरीजों ने कामन तौर पर टैटू बनवाया था और उसी के बाद इनकी तबीयत बिगड़ी पता करने पर पता चला कि गांव के मेले में एक ही नीडल से कई लोगों के टैटू बनाने के कारण इस तरह की संभावना हो सकती है इस पर और जांच चल रही है .

इस तरह का जो मामला सामने आया है उसमें वाराणसी के बड़ागांव के 20 साल के एक युवक वाराणसी के ही नगमा की रहने वाली एक 25 साल की लड़की के साथ तकरीबन 12 ऐसे लोग सामने आए जिनकी तबीयत खराब हुई बुखार उतरने का नाम नहीं ले रहा था. वायरल टाइफाइड मलेरिया जैसे सभी टेस्ट के नॉर्मल आने के बाद भी जब बुखार नहीं उतर रहा था. तो डॉक्टर के सजेशन के मुताबिक एचआईवी टेस्ट कराया गया.

जिसमें यह लोग पॉजिटिव पाए गए डिटेल पता करने पर पता चला कि ना तो इनका किसी के साथ शारीरिक संबंध बना था नहीं कोई संक्रमित खून चढ़ाया गया था और ना ही दूसरे अन्य कारण जो एचआईवी के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं वह भी इनके साथ नहीं हुआ था. लेकिन काउंसलिंग करने पर इन सभी मरीजों में एक बात कॉमन रूप से पता चली की सभी ने हाल ही में टैटू बनवाया था. 

पता करने पर यह भी पता चला कि इन लोगों ने ऐसे व्यक्ति से टैटू बनवाया था जो एक ही निडल का प्रयोग कर रहा था यानी सस्ते में टैटू बना रहे थे जिसकी वजह से संक्रमित हो सकते हैं प्रारंभिक तौर पर यह पता चलने के बाद डॉ प्रीति अग्रवाल इस संबंध में और शोध और जांच कर रही हैं जिससे कि पुख्ता पता चल सके किसका प्रमुख कारण एक ही लिटिल सेट टैटू गुदवाना ही है. 

डॉ प्रीति अग्रवाल बताती हैं की टैटू की नीडल महंगी आती है सात आठ सौ रुपये की लिहाजा लोग सस्ते के चक्कर में एक ही नीडल से टैटू गोदवाने लगते हैं . ऐसे लोगों को सावधान हो जाना चाहिए और गांव के मेले में या एक ही निरल से अगर कोई टैटू बना रहा है तो उससे नहीं बनवाना चाहिए. अगर किसी को टैटू बनवाने का बहुत शौक है तो निडिल का एक ही बार प्रयोग होना चाहिए और नए निडिल से ही बनवाना चाहिए.


 

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