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कोर्ट ने सोशल साइट्स चलाने वालों को कहा कि जल्द से जल्द वह कोई तरीका निकाले जिससे आपत्तिजनक सामग्री को हटाया जा सके और रोका जा सके।
फेसबुक और गूगल इंडिया को चेतावनी देते हुए न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने कहा, ‘चीन की तरह हम भी ऐसे सभी वेबसाइटों को अवरूद्ध कर देंगे।’ उन्होंने इन साइटों से ‘हिंसक एवं आपत्तिजनक’ सामग्री को वेब पेज से हटाने और ऐसा करने से रोकने का तरीका विकसित करने को कहा।
मजिस्ट्रेट की अदालत में इन दोनों वेबसाइट के खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगाने का न्यायमूर्ति कैत ने समर्थन नहीं किया। बहरहाल वे वकीलों की इस याचिका से सहमत थे कि कल निचली अदालत में वे प्रभावी सुनवाई के लिये दबाव नहीं बनाएंगे।
गूगल इंडिया की ओर से उपस्थित होते हुए पूर्व अतिरिक्त सोलीसीटर जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि ‘आपत्तिजनक, अश्लील और अपमाजनक’ लेखों एवं अन्य सामग्रियों को लगाने से ‘न तो रोका जा सकता है’ और न ही ‘उनकी निगरानी’ की जा सकती है।
उन्होंने कहा, ‘इसमें मानव हस्तक्षेप संभव नहीं है और ऐसी घटनाओं को रोकना सुसंगत नहीं है। दुनिया में अरबों लोग वेबसाइट पर अपना लेख लगाते हैं। हां, वे अपमानजनक, अश्लील हो सकते हैं लेकिन उन्हें रोका नहीं जा सकता।’
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