केंद्र की कोयला ब्लॉकों की वर्चुअल नीलामी की परियोजना (Virtual auction of Coal blocks) के खिलाफ झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर की है. मंगलवार को याचिका पर सुनवाई करते हुे सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. कोर्ट ने केंद्र को चार हफ्ते में इस मामले में जवाब देने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को सुझाव दिया कि नीलामी की प्रक्रिया पर 18 अगस्त यानी सुनवाई की अगली तारीख तक आगे ना बढ़े. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 41 कोयला खदानों में से झारखंड की 9 खदानों की नीलामी करने के फैसले को चुनौती दी है. झारखंड सरकार का कहना है कि केंद्र का यह फैसला जंगलों और आदिवासी संस्कृति और रीति-रिवाजों को नष्ट कर देगा. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 18 जून को शुरू की गई 41 कोयला ब्लॉकों की वर्चुअल नीलामी की परियोजना के मामले में ये सुनवाई हुई.
झारखंड सरकार ने वाणिज्यिक खनन के लिए केंद्र की महत्वाकांक्षी परियोजना को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से केंद्रीय कोयला मंत्रालय द्वारा कोयला खदानों की प्रस्तावित नीलामी पर फिलहाल रोक लगाने की मांग की है. झारखंड सरकार ने कहा है कि खोयला खनन का झारखंड और उसके निवासियों की विशाल ट्राइबल आबादी और वन भूमि पर सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव के निष्पक्ष मूल्यांकन की आवश्यकता है और केंद्र सरकार के नीलामी के फैसले से इन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है.
याचिका में यह भी कहा गया है कि COVID-19 के कारण नकारात्मक 'वैश्विक निवेश के लिए वैसे ही माहौल नहीं हैं इसी कारण कोयला खनन के लिए की जा रही नीलामी से दुर्लभ प्राकृतिक संसाधन का उचित रिटर्न प्राप्त करने की संभावना नहीं है दरअसल अगले 5-7 वर्षों में देश में पूंजी निवेश के 33,000 करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद के साथ नीलामी प्रक्रिया शुरू करते हुए मोदी ने कहा था कि यह आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में एक बड़ा कदम है.
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