प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
इस साल पाकिस्तान से लगी अंतरराष्ट्रीय सरहद और नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम का उल्लंघन लगातार होता रहा. इसके नतीजे में 27,000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लोकसभा में यह जानकारी दी है.
गृह मंत्रालय ने बताया कि इस साल कुल 447 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन हुआ. इसकी वजह से 27,449 लोग बेघर हो गए हैं. संघर्ष विराम उल्लंघन के ज्यादा मामले सर्जिकल स्ट्राइक के बाद हुए हैं.
सरकार ने यह भी माना है कि जम्मू-कश्मीर में इस साल आतंकवाद की वारदातें ज्यादा हुईं. हालांकि आतंकी भी ज्यादा मारे गए. बताया गया कि साल 2015 में 208 आतंकी वारदातें हुई थीं, जबकि इस साल घाटी में अब तक 305 आतंकी वारदातें हो चुकी हैं. पिछले साल 46 आतंकी मारे गए थे और दस गिरफ्तार हुए थे. इस साल 140 आतंकी मारे गए और 76 गिरफ्तार हुए. पिछले साल 39 सुरक्षा कर्मियों की मौत हुई थी और इस साल 71 की मौत हुई.
इस साल जब पठानकोट और उड़ी में आतंकी हमले हुए तो भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक की और सरकार ने इसका जोरशोर से ऐलान किया. तब कहा गया कि कई आतंकी कैंप तबाह कर दिए गए हैं. इससे लगा कि अब शायद सीमा पार से हमले कम होंगे. लेकिन संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाएं अचानक बढ़ गईं. नगरोटा जैसे हमले बता रहे हैं कि आतंक का सिलसिला जारी है. जाहिर है, सरकार के लिए चुनौती खत्म नहीं हुई है.
दरअसल जिन्हें हम संघर्ष विराम उल्लंघन के आंकड़ों की तरह देखते हैं, वे वास्तव में एक बहुत बड़ी आबादी के लिए एक बड़ा संकट बनते हैं. 27,000 लोग अगर अपने घर छोड़ने को मजबूर हैं तो सरकार को सोचना होगा कि इन हालात पर कैसे जल्द काबू पाया जाए.
गृह मंत्रालय ने बताया कि इस साल कुल 447 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन हुआ. इसकी वजह से 27,449 लोग बेघर हो गए हैं. संघर्ष विराम उल्लंघन के ज्यादा मामले सर्जिकल स्ट्राइक के बाद हुए हैं.
सरकार ने यह भी माना है कि जम्मू-कश्मीर में इस साल आतंकवाद की वारदातें ज्यादा हुईं. हालांकि आतंकी भी ज्यादा मारे गए. बताया गया कि साल 2015 में 208 आतंकी वारदातें हुई थीं, जबकि इस साल घाटी में अब तक 305 आतंकी वारदातें हो चुकी हैं. पिछले साल 46 आतंकी मारे गए थे और दस गिरफ्तार हुए थे. इस साल 140 आतंकी मारे गए और 76 गिरफ्तार हुए. पिछले साल 39 सुरक्षा कर्मियों की मौत हुई थी और इस साल 71 की मौत हुई.
इस साल जब पठानकोट और उड़ी में आतंकी हमले हुए तो भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक की और सरकार ने इसका जोरशोर से ऐलान किया. तब कहा गया कि कई आतंकी कैंप तबाह कर दिए गए हैं. इससे लगा कि अब शायद सीमा पार से हमले कम होंगे. लेकिन संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाएं अचानक बढ़ गईं. नगरोटा जैसे हमले बता रहे हैं कि आतंक का सिलसिला जारी है. जाहिर है, सरकार के लिए चुनौती खत्म नहीं हुई है.
दरअसल जिन्हें हम संघर्ष विराम उल्लंघन के आंकड़ों की तरह देखते हैं, वे वास्तव में एक बहुत बड़ी आबादी के लिए एक बड़ा संकट बनते हैं. 27,000 लोग अगर अपने घर छोड़ने को मजबूर हैं तो सरकार को सोचना होगा कि इन हालात पर कैसे जल्द काबू पाया जाए.
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