सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने सोमवार को कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि महाराष्ट्र सरकार वित्तीय फायदे के लिए शराब की बिक्री को प्राथमिकता दे रही है. उनका यह बयान तब आया है जब कुछ दिनों पहले राज्य सरकार ने सुपरमार्केट और किराने की दुकानों में शराब की बिक्री की मंजूरी दी है. अन्ना हजारे ने सोमवार को एक बयान में कहा कि लोगों को मादक पदार्थ, शराब और नशे के लिए हतोत्साहित करना सरकार का कर्तव्य है लेकिन यह दुखद है कि केवल राजस्व अर्जित करने के लिए शराब और नशे को बढ़ावा देने वाले फैसले लिए जा रहे हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता ने पूछा, ‘‘महाराष्ट्र सरकार ने सुपरमार्केट और किराने की दुकानों में शराब की बिक्री की अनुमति देने का हाल में फैसला किया. महाराष्ट्र के लोगों के लिए यह फैसला बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है. राज्य सरकार ने कहा कि किसानों के हित में यह फैसला लिया गया है. राज्य सरकार ने यह भी कहा कि वाइन शराब नहीं है. असल सवाल यह है कि ऐसा फैसला राज्य को कहां लेकर जाएगा?''
उन्होंने कहा कि राज्य के लोग सरकार के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं जबकि सरकार में बैठे लोग इसका समर्थन कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘इस राज्य के लोगों के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार ने केवल राजस्व अर्जित करने के लिए इस तरीके से शराब की बिक्री को प्राथमिकता दी है.''
किसानों के हित के बारे में बात करते हुए हजारे ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकारों को फसलों के लिए उचित दाम तय करना चाहिए. पिछले साल नवंबर में महाराष्ट्र सरकार ने आयातित स्कॉच व्हिस्की पर आबकारी शुल्क 50 फीसदी तक कम कर दिया था. उन्होंने कहा कि सरकार की ऐसी शराब की बिक्री बढ़ाने और अपना राजस्व 100 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 250 करोड़ रुपये तक करने की योजना है.
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