कांग्रेस ने सरकार एवं किसान संगठनों के बीच हो रही नए दौर की बातचीत की पृष्ठभूमि में सोमवार को कहा कि केंद्र सरकार के लिए आज राष्ट्रवाद की सच्ची परीक्षा है और यह देखना है कि सरकार राष्ट्र हित में काम करती है या फिर पूंजीपतियों के हित को देखती है. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने आरोप लगाया कि सरकार सर्दी एवं बारिश के बीच सड़कों पर बैठे किसानों के प्रति क्रूरता का व्यवहार कर रही है. राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘सर्दी की भीषण बारिश में टेंट की टपकती छत के नीचे जो बैठे हैं सिकुड़-ठिठुर कर, वो निडर किसान अपने ही हैं, ग़ैर नहीं. सरकार की क्रूरता के दृश्यों में अब कुछ और देखने को शेष नहीं.''
प्रियंका ने ट्वीट कर आरोप लगाया, ‘‘सरकार एक तरफ तो किसानों को बातचीत के लिए बुलाती है, दूसरी तरफ इस कड़कड़ाती ठंड में उन पर आंसू गैस के गोले बरसा रही है. इसी अड़ियल और क्रूर व्यवहार की वजह से अब तक लगभग 60 किसानों की जान जा चुकी है.''
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उन्होंने सवाल किया, ‘‘किसान इस क्रूर सरकार पर कैसे विश्वास करे?'' कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘‘आज राष्ट्रवाद की सच्ची परीक्षा है. क्या मोदी सरकार ‘राष्ट्र हित' में काम करेगी या फिर ‘साठगांठ वाले कॉरपोरेट के हित' में?'' कांग्रेस के किसान प्रकोष्ठ ‘अखिल भारतीय किसान कांग्रेस' के उपाध्यक्ष सुरेंद्र सोलंकी ने उम्मीद जताई कि सरकार आज की बातचीत में किसानों की बात मानेगी और तीनों कृषि कानूनों को वापस लेगी.
सोलंकी ने एक बयान में कहा, ‘‘हम आशा करते हैं कि सरकार को सद्बुद्धि आएगी और वह तीनों काले कानूनों को वापस लेगी. अगर इन कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो किसानों का आंदोलन और तेज होगा. किसान कांग्रेस भी इस लड़ाई को गांव-गांव तक ले जाएगी.''
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गौरतलब है कि किसान संगठनों के बीच सोमवार को नए दौर की बातचीत हो रही है. किसान संगठनों की मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाए और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी दी जाए. अपनी मांगों को लेकर हजारों किसान दिल्ली के निकट पिछले करीब 40 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार का कहना है कि ये कानून कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के कदम हैं और इनसे खेती से बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी तथा किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकते हैं.
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