यह ख़बर 27 अगस्त, 2012 को प्रकाशित हुई थी

रिश्वत देने से मना करने पर यात्री को ट्रेन से फेंका

खास बातें

  • जिन लोगों पर मुंबई की ट्रेनों में सफ़र कर रहे मुसाफिरों की सुरक्षा का जिम्मा है उन्होंने ही एक ऐसे अपराध को अंजाम दिया है जिसके बाद पूरा रेलवे महकमा सकते में है।
मुंबई:

जिन लोगों पर मुंबई की ट्रेनों में सफ़र कर रहे मुसाफिरों की सुरक्षा का जिम्मा है उन्होंने ही एक ऐसे अपराध को अंजाम दिया है जिसके बाद पूरा रेलवे महकमा सकते में है।

आरोप है कि जीआरपी मे तैनात चार कांस्टेबलों ने एक व्यक्ति को महज इसलिए चलती ट्रेन से फेंक दिया क्योंकि उसने उन्हें रिश्वत देने से मना कर दिया था।

हादसे में पीड़ित की एक टांग ट्रेन के नीचे आने से कट गई। पीड़ित हबीबुल्ला खान का आरोप है कि  जिन कांस्टेबलों ने उसे ट्रेन से फेंका वह रेलवे डीसीपी के स्पेशल स्कवॉड का सदस्य है।

घटना 18 अगस्त की है। खान को जब अस्पताल मे भर्ती करवाया गया तब शरीर से ज्यादा खून बह जाने की वजह से वह बेहोश था और उसकी एक टांग कट चुकी थी।

एक हफ्ते भी ज्यादा वक़्त तक बेहोश रहने के बात खान को 25 अगस्त को होश आया। होश मे आने के बाद खान ने पुलिस अधिकारियों को पूरा वाकया बताया।

पुलिस को दिए अपने बयान मे खान ने आरोप लगाया कि कुछ लोग सादी वर्दी में आए और उसे जांच के नाम पर ट्रेन में ले गए। आरोप है कि जब ट्रेन कुर्ला और तिलक नगर स्टेशन के बीच से गुजर रही थी उन चारों ने उसे चलती ट्रेन से महज इसलिए फेंक दिया क्योंकि उसने उन्हें पैसे देने से मना कर दिया था।

खान के बयान पर वडाला जीआरपी पुलिस थाने में हफ्ता उगाही और जान से मरने की कोशिश का मामला दर्ज किया गया है। खान के ही निशानदेही पर पुलिस ने चार कांस्टेबलों की पहचान कर ली है।  खान ने कांस्टेबल आरआर जेथे, वीपी ठाकुर, एसएस ठाकुर और एसएम मंगनोर की पहचान की है। सभी आरोपी कांस्टेबलों को सीएसटी के स्पेशल रेलवे कोर्ट मे पेश किया गया।

अदालत में बचाव पक्ष ने आरोप लगाया कि इन चारों की गिरफतारी के पहले पहचान परेड करवाई गई है जिसका पुलिस को कोई हक़ नहीं है। पहचान परेड सिर्फ जेल में कार्यकारी अधिकारी के जरिए ही कराई जाती है। लेकिन, अदालत ने इन सभी तर्कों को दरकिनार करते हुए चारों आरोपी कांस्टेबलों को 31 अगस्त तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है।

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जांच से जुड़े अधिकारी बता रहे है कि अब वे यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या इन आरोपी कांस्टेबलों ने खुद ही खान को अपनी हिरासत मे लेकर पैसे की मांग की या फिर अपने वरिष्ट अधिकारियों के आदेश पर यह कदम उठाया है।