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This Article is From May 21, 2020

राज्यों पर अतिरिक्त कर्ज के उपयोग को लेकर कोई पाबंदी नहीं : वित्त मंत्रालय

वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह कहा है. अधिकारी ने स्पष्ट किया कि एफआरबीएम के तहत 3 प्रतिशत कर्ज की सीमा बिना किसी शर्त के है जबकि अतिरिक्त दो प्रतिशत कर्ज में से केवल एक प्रतिशत कर्ज को नागरिक केंद्रित सुधारों से जोड़ा गया है.

राज्यों पर अतिरिक्त कर्ज के उपयोग को लेकर कोई पाबंदी नहीं : वित्त मंत्रालय
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फाइल फोटो)
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
अतिरिक्त कर्ज के उपयोग को लेकर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं
वे अपनी जरूरतों के अनुसार खर्च करने को लेकर स्वतंत्र हैं
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह कहा
नई दिल्ली:

केंद्र ने राज्यों पर 2 प्रतिशत अतिरिक्त कर्ज के उपयोग को लेकर किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं लगाई है और वे अपनी जरूरतों के अनुसार खर्च करने को लेकर स्वतंत्र हैं. वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्पष्ट किया कि राजकोषीय जवाबदेही और बजट प्रबंधन कानून (एफआरबीएम) के तहत 3 प्रतिशत कर्ज की सीमा बिना किसी शर्त के है जबकि अतिरिक्त दो प्रतिशत कर्ज में से केवल एक प्रतिशत कर्ज को नागरिक केंद्रित सुधारों से जोड़ा गया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को आर्थिक पैकेज की पांचवीं किस्त की घोषणा करते हुए राज्यों के लिए कर्ज सीमा बढ़ाने का ऐलान किया.

उन्होंने कहा था कि बढ़ी कर्ज सीमा इस बात पर निर्भर है कि राज्य नागरिकों को ध्यान में रखकर सुधारों को आगे बढ़ाएंगे ताकि लोगों के लिए सेवा आपूर्ति गुणवत्तता में सुधार हो. केंद्र सरकार ने राज्यों को कोरोना वायरस संकट से निपटने में मदद के लिए उनका संसाधन बढ़ाने के इरादे से कर्ज सीमा बढ़ाने की अनुमति दे दी. इसके तहत राज्य अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 2 प्रतिशत अतिरिक्त कर्ज ले सकेंगे. सामान्य स्थिति में यह सीमा 3 प्रतिशत है. कर्ज सीमा कुछ शर्तों के साथ बढ़ाई गई.

अधिकारी ने कहा, ‘मूल 3 प्रतिशत की सीमा बिना किसी शर्त के है. दो प्रतिशत की अतिरिक्त उधारी में से 0.5 प्रतिशत के लिए कोई शर्त नहीं है जबकि 1 प्रतिशत कुछ सुधारों पर निर्भर है (प्रत्येक सुधारों पर 0.25 प्रतिशत). पुन: 0.50 प्रतिशत सुझाये गये कम-से-कम तीन सुधारों के क्रियान्वयन के लिए है.' उसने कहा कि अतिरिक्त उधारी के हिस्से के लिए पात्रता सशर्त है लेकिन इसका उपयोग किसी शर्त पर निर्भर नहीं है.

केंद्र सरकार ने जिन सुधारों का सुझाव दिया है, वह लागों के हितों से जुड़े है और इसका मकसद लोगों के लिए सेवा ‘डिलिवरी' की गुणवत्ता को बेहतर बनाना है. इन सुधारों में ‘एक देश एक राशन कार्ड' प्रणाली को क्रियान्वित करना, कारोबार सुगमता के लिए लाइसेंस व्यवस्था में सुधार, स्थानीय निकायों को मजबूत बनाना और बिजली क्षेत्र में सुधार शामिल हैं. कर्ज सीमा बढ़ाए जाने से राज्यों को 4.28 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त संसाधन मिलेंगे. इससे उन्हें कोरोना संकट से पार पाने में मदद मिलेगी. वित्त वर्ष 2020-21 के लिये राज्यों की कर्ज सीमा 6.41 लाख करोड़ रुपये (राज्य जीडीपी का 3 प्रतिशत) है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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