उत्तर प्रदेश में फिलहाल भीड़ वाली रैलियों पर कोई रोक नहीं...

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि कोविड को देखते हुए चुनाव आयोग ने कुछ नये दिशा निर्देश जारी किये हैं जिसके अनुसार मतदान का समय एक घंटे ज्यादा होगा. कोरोना के मरीजों का वोट लेने के लिए कर्मचारी पीपीई किट पहन कर उन्हें वोट डलवाने ले जाएंगे.

लखनऊ:

देश में कोविड-19 के मामलों में बड़े उछाल और ओमिक्रॉन (Omicron) के लगातार बढ़ते खतरे को लेकर केंद्र सरकार की एहतियाती कवायद को उत्तर प्रदेश की चुनाव पूर्व रैलियां फेल करती दिख रही हैं. इन रैलियों में उमड़ रही भीड़ में कोविड प्रोटोकॉल की खूब धज्जियां उड़ रही हैं. चूंकि चुनाव की घोषणा अभी नहीं हुई है ऐसे में बिना आचार संहिता के चुनाव आयोग (Election Commission) भी कुछ करने की स्थिति में नहीं. मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) सुशील चंद्रा, जो गुरुवार को लखनऊ में थे, ने भी कहा कि चुनाव आयोग आचार संहिता लागू होने के बाद ही कुछ कर सकता है.

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि कोविड को देखते हुए चुनाव आयोग ने कुछ नये दिशा निर्देश जारी किये हैं जिसके अनुसार मतदान का समय एक घंटे ज्यादा होगा. कोरोना के मरीजों का वोट लेने के लिए कर्मचारी पीपीई किट पहन कर उन्हें वोट डलवाने ले जाएंगे. चुनाव पूर्व हो रही राजनीतिक रैलियों में उमड़ी भीड़ से कोविड प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ने पर सीईसी ने कहा, ''इसके लिये फिलहाल चुनाव आयोग कुछ नहीं कर सकता. आयोग आचार संहिता लागू होने के बाद ही कुछ कर सकता है.''

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वैसे आगर उत्तर प्रदेश में सियासी नेताओं की जानसभाओं पर नजर डालें तो यह भीड़ के लिहाज से अप्रत्याशित दिख रही हैं. रैली में कोविड प्रोटोकॉल की धज्जियां जमकर उड़ायी जा रही हैं. शायद ही लोगों में कोई मास्क पहने दिखता हो. इस हुजूम में कुछ भी हो सकता है. भीड़ जुटा कर कोविड प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ रही हैं.

मुख्य निर्वाचन आयुक्त, सुशील चंद्रा से जब इसे लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ''आचार संहिता लागू होने के बाद रैलियों पर कोई प्रतिबंध लगाना होगा तो लगाएंगे.'' ये सवाल किये जाने पर कि क्या तब तक ये रैलियां ऐसे ही चलती रहेंगी, उन्होंने कहा, '' देखिए जब भी चुनाव होता है चुनाव आयोग का दायित्व शुरू होता है जब हम आचार संहिता लागू करते हैं. इससे पहले जो भी काम है वह जिला प्रशासन का होता है और इसके अंतर्गत जो भी उनकी कार्रवाई होगी, वही लोग करेंगे.''

चुनाव आयोग का कहना है कि बढ़ते हुए कोविड के खतरों के बीच चुनाव कराना बड़ी चुनौती है और इसके लिए खास इंतजाम किए जाएंगे. उन्होंने बताया कि मतदान का समय एक घंटा बढ़ाया जाएगा. भीड़ कम करने के लिए 11,000 अतिरिक्त पोलिंग बूथ बनाए जाएंगे. हर मतदान केंद्र पर थर्मल स्कैनर, सैनिटाइजर, फेस मास्क होगा. कोरोना के मरिजों का वोट लेने कर्मचारी पीपीई किट पहन कर जाएंगे.

मुख्य चुनाव आयुक्त ने टीकाकरण पर जोर देते हुए कहा - '' हमने (आयोग) आदेश दिये हैं कि टीकाकरण को बढ़ाया जाए जिससे की जल्द से जल्द लोगों को पहली और दूसरी खुराक दे दी जाये.''

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यूपी के चुनाव में एक लंबे समय से दागी उम्मीदवार चुनाव लड़े और जीत कर विधायक बनते आ रहे हैं. एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव में जीते 403 विधायकों में 140 पर मौलिक मामले दर्ज है. 106 विधायकों पर संगीन आपराधिक मामले में हैं. 7 विधायकों पर हत्या के मामले हैं. 36 विधायकों पर हत्या के प्रयास के मामले हैं. दो विधायकों पर तो महिलाओं से अत्याचार के मामले हैं.

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उधर चुनाव आयोग का इसे लेकर कहना है कि इस बार राजनीतिक दलों को जनता को बताना होगा कि उन्होंने आपराधिक पृष्ठभूमि के शख्स को क्यों टिकट दिया. सुशील चंद्र ने जोर देते हुए कहा इसके अलावा राजनीतिक दलों को भी बताना होगा है कि  आपराधिक छवि के लोगों को क्यों चुना गया है. क्या कारण है साफ छवि वाले व्यक्ति को न लेने का?