यूपी सरकार के उच्च शिक्षा आयोग ने हाल ही में इलाहाबाद का नाम प्रयागराज (Prayagraj) क्या किया कि आयोग के संबंधित अधिकारियों ने शायरों के तखल्लुस (उपनाम) ही बदल डाले. मशहूर शायर अकबर इलाहबादी का नाम आयोग ने अपनी वेबसाइट में अकबर ''प्रयागराजी'' कर खुद को लोगों के बीच मजाक का विषय बना दिया. जब आयोग की सोशल मीडिया में खिल्ली उड़ी तो जाकर अफसरों को होश आया और वेबसाइट पर फिर सही नाम लिखे गए. साहित्य जगत ने भी इसकी निंदा की. अकबर इलाहबादी के अलावा आयोग ने दो और शायरों के उपनाम भी बदल दिए. दरअसल शायरों ने जगह के नाम के लिहाज से अपने नाम के आगे इलाहाबादी तखल्लुस लिखा है जिसे आयोग ने अपनी वेबसाइट पर बदलकर प्रयागराजी कर दिया. सोशल मीडिया पर जब यूजर्स की नजर इसपर गयी तो उन्होंने आयोग की जमकर खिल्ली उड़ानी शुरू कर दी. इसके बाद जाकर आयोग के अधिकारियों की नींद खुली और इसको सुधारा गया.
हैकर्स ने की यूपी उच्चतर शिक्षा आयोग की वेबसाइट हैक, कई साहित्यकारों के नामों से की 'छेड़छाड़'
सरकार का इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने के बाद उच्च शिक्षा आयोग ने लोगों के नाम से इलाहाबादी उपनाम बदलने का सबसे पहला ''शिकार'' मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी बने. उनका नाम ''अकबर प्रयागराजी'' कर दिया जो वास्तव में एक जाने माने उर्दू शायर हैं. साहित्य जगत में आयोग के इस फैसले पर नाराजगी भी जाहिर की गई और खिली भी उड़ाई गई. इलाहाबाद के कई साहित्यकारों और व्यंग्यकारों ने भी इस बात पर पर नाराजगी जताई.
इलाहाबाद के एक साहित्यकार यश मालवीय ने सवाल उठाया, "आप किसी शायर का नाम कैसे बदल सकते हैं? अकबर इलाहाबादी हमारी संस्कृति, शहर और देश की पहचान हैं. ये तो भारत की गरिमा के खिलाफ है कि शायर का नाम ही बदल दें. उसकी शायरी बदल दें.''
साहित्यकार, शैलेश गौतम ने कहा, ''इस गलती को तुरंत सुधारा जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "आज के कुछ शायर या कवि "प्रयागराजी" जैसे सकते हैं. ये आज का बोध हो सकता है. लेकिन उस समय इलाहाबाद था तो उन्होंने इलाहाबादी लिखा. हमारी मांग है गलती को तुरन्त सुधारा जाए. उनके नाम और काम के प्रति यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी.''
अकबर इलाहाबादी न रहे प्रयागराजी हो गए...
इलाहाबाद के ही व्यंगकार अभय अवस्थी ने कहा, ''ये शर्मनाक है. काला दंडा की कब्र से अकबर इलाहाबादी को खोद कर निकाल कर इस तरह प्रयागराजी बना दिया जाए तो आयोग के इस क़दम से तो लगता है कि आने वाले दिनों में हमारी शायरी और कविताओं में जहां-जहां इलाहाबाद शब्द आया है, उसे प्रयागराज कर दिया जाएगा.''
उन्होंने इस सिलसिले में सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की एक कविता का भी जिक्र किया जिसमें इलाहबाद शब्द है और तंज़ कसा - ''वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैंने इलाहाबाद के पथ पर''
शायद अब इस तरह हो जाए -
“वह तोड़ती पत्थर;
देखा मैंने प्रयागराज के पथ पर”
इसी तरह अकबर इलाहाबादी का मशहूर शेर है -
"कुछ इलाहाबाद में समान नहीं बहबूद के,
यान धारा क्या है बा-जुज अकबर के और अमरूद के.”
इसे अब यूं लिखना होगा -
“कुछ प्रयागराज में सामान नहीं बहबूद के,
या धारा क्या है बा-जुज अकबर के और अमरूद के.”
उन्होंने कहा कि यूं तो फैजाबाद का नाम भी बदलकर अयोध्या हो गया है. लगता है वो दिन दूर नहीं जब फैजाबाद के मशहूर शायर मेराज फैजाबादी का नाम "मेराज अयोध्यावासी'' हो जाए.
5 की बात : अब अकबर भी प्रयागराजी हो गए, UP उच्चतर शिक्षा की वेबसाइट में बदलाव
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