केंद्रीय कृषि कानूनों (Farmers Bill- 2020) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को.नोटिस जारी कर 6 हफ्तों में जवाब मांगा है. याचिकाओं में कृषि कानूनों की संवैधानिकता को चुनौती दी गयी है. कोर्ट ने मनोहर लाल की याचिका को दरकिनार करते हुए बाकी अन्य नेताओं की याचिकाओं पर कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी किया और अटॉर्नी जनरल से कहा कि अन्य सभी हाईकोर्ट में दाखिल मुकदमों की स्थिति का ब्योरा दें.
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बनाए गए कृषि कानून के खिलाफ दाखिल चार याचिकाओं पर सुनवाई की. इन याचिकाओं में कानून को असंवैधानिक करार देकर रद्द करने की मांग की गई है. मामले की सुनवाई CJI एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की बेंच ने की. डीएमके सांसद त्रिची शिवा ने कृषि कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि कानूनों को असंवैधानिक और अवैध घोषित किया जाए.
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नए कानून देश के गरीब किसानों के लिए एक नए शोषणकारी शासन की शुरूआत करेंगे, जो पूरी तरह से बाजार में अपनी उपज बेचकर अपनी आजीविका कमाने पर निर्भर हैं. आरजेडी सांसद मनोज झा ने भी नए लागू किए गए तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. झा ने याचिका में कानूनो को चुनौती देते हुए कहा कि वे "भेदभावपूर्ण और प्रकट रूप से मनमानी" हैं. ये कानून सीमांत किसानों को बड़े कॉर्पोरेट द्वारा शोषण के लिए खुला छोड़ दें. बताते चलें कि केरल और त्रिची के सांसद और वकील मनोहर लाल शर्मा नेभी कानून को चुनौती दी है.
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