सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली से मथुरा के बीच नई रेलवे लाइन बिछाने के लिए रेलवे को 30 किमी में 452 पेड़ों को काटने की सशर्त इजाजत दे दी है. रेलवे के पक्ष को सुनने के बाद अदालत ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि नई रेलवे लाइन का महत्व है. अदालत ने माना कि दिल्ली-मथुरा मार्ग भारी भीड़भाड़ वाला है इसमें नई रेल लाइन की जरूरत है. कोर्ट ने रेलवे को आदेश दिया है कि पेड़ो की कटाई के बाद उसके जगह पेड़ लगाने की व्यवस्था की जाए साथ ही कोर्ट ने नालसा के सदस्य सचिव को कहा कि वो उत्तर रेलवे द्वारा मुआवजे के रूप में लगाए गए पेड़ों का निरीक्षण करने के लिए साइट पर जाने के लिए एक अधिकारी की नियुक्ति करे और देखे कि क्या पौधों का समुचित देखभाल किया जा रहा है या नहीं? साथ ही पौधों की कटाई होने के बाद उसकी जगह फिर से पौधा लगाया जाए. साथ ही अदालत ने इस मामले में तीन महीने के भीतर स्टेटस रिपोर्ट देने का भी आदेश दिया है.
गौरतलब है कि TTZ में पेड़ काटने के मामले में पिछली सुनवाई में उत्तर मध्य रेलवे से CJI एसए बोबडे ने कहा था कि आपको पेड़ क्यों काटने हैं? क्या आप एक वैकल्पिक मार्ग नहीं खोज सकते जहां आप कम पेड़ काटें? बता दें कि उत्तर मध्य रेलवे ने दिल्ली से मथुरा के बीच चौथी रेलवे लाइन बिछाने के लिए ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन में पेड़ काटने की अनुमति मांगी थी. गौरतलब है कि हाल ही में मेट्रो परियोजना के लिए आरे जंगल में पेड़ो की कटाई के बाद देश भर में विरोध का सामना करना पड़ा था.
VIDEO: मर गए आरे में ट्रांसप्लांट किए गए 61 फीसदी पेड़!
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