
- उपराष्ट्रपति चुनाव में जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी ने इसे लड़ाई नहीं बल्कि संवाद बताया है
- रेड्डी ने स्पष्ट किया कि यह चुनाव क्षेत्रीयता पर आधारित नहीं बल्कि पूरे भारत के नागरिकों के लिए है
- कांग्रेस अध्यक्ष के विचारधारा की लड़ाई वाले बयान से वे पूरी तरह सहमत हैं और इसे महत्वपूर्ण मानते हैं
उपराष्ट्रपति चुनाव में इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी ने मीडिया से बातचीत में साफ कहा कि यह कोई लड़ाई नहीं बल्कि संवाद है. उन्होंने कहा कि आप लोग बार-बार लड़ाई कह रहे हैं, लेकिन यह संवाद है. मैं सम्मानपूर्वक चुनाव लड़ूंगा और मुझे भरोसा है कि एनडीए उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन भी ऐसी ही लड़ाई लड़ेंगे.
रेड्डी ने इस बात पर जोर दिया कि यह चुनाव किसी तेलुगु बनाम तमिल की लड़ाई नहीं है. उन्होंने कहा कि हम सब भारतीय हैं और भारत में एक ही नागरिकता का प्रावधान है. इसे क्षेत्रीयता की लड़ाई बताना गलत है.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की उस टिप्पणी पर भी उन्होंने सहमति जताई जिसमें कहा गया था कि यह विचारधारा की लड़ाई है. रेड्डी ने कहा कि विपक्ष हमेशा से संविधान बचाने की लड़ाई लड़ता रहा है और वे खुद भी अपने जीवनभर इस लड़ाई के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं.
उन्होंने एनडीए उम्मीदवार पर कोई व्यक्तिगत टिप्पणी करने से इनकार किया और कहा कि उनका मुकाबला सिर्फ विचारधारा और लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर है. रेड्डी ने यह भी कहा कि उपराष्ट्रपति चुनाव में कोई पार्टी व्हिप नहीं होता, इसलिए सांसद अपनी स्वतंत्र राय से तय करेंगे कि कौन ज्यादा उपयुक्त उम्मीदवार है. उन्होंने भरोसा जताया कि सांसद उन्हें ही चुनेंगे. रेड्डी का यह बयान विपक्ष के लिए एक रणनीतिक संदेश माना जा रहा है, जिसमें उन्होंने क्षेत्रीयता और निजी हमलों से दूरी बनाकर संविधान और लोकतांत्रिक विचारधारा को चुनावी मुद्दा बनाया है.
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