मुंबई: 
                                        महाराष्ट्र के मैनचेस्टर यानी भिवंडी में आजादी की 69वीं सालगिरह से बाद से सन्नाटा पसरा है। इलाके में तकरीबन 12-14 हजार पावरलूमों का शोर थम गया है। कारोबारियों ने फिलहाल 15 दिनों की हड़ताल की है, लेकिन उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो हड़ताल बढ़ भी सकती है।
मुंबई से 50 किलोमीटर दूर बसा भिवंडी 1857 के दौर में पूर्वी उत्तरप्रदेश और बिहार के कई बुनकरों की पनाह बना। दो बड़े नेशनल हाईवे 3 और 8 के दो राहे पर बसा भिवंडी आज भी 'दो राहे' पर है। तरक्की जैसे इसे बस छूकर निकल गई है। संकरे रास्ते, खराब सड़कें, सब कुछ बिखरा-बिखरा सा। इसी में दिन-रात शोर मचाते पावरलूम, जिनका शोर 16 अगस्त से बंद है। भिवंडी में लगभग 12-15 हजार पावरलूम हैं, जिनमें 10 लाख से ज्यादा मजदूर काम करते हैं। देश दुनिया को यहां से कपड़ा निर्यात होता है।
भिवंडी पावरलूम एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल मन्नान सिद्दिकी ने कहा " भिवंडी से पूरी दुनिया में कपड़ा सप्लाई होता है। लाखों मजदूरों की दिहाड़ी पावरलूम से जुड़ी है, इसलिए हम 8 महीने से चुप थे, लेकिन अब हम और नुकसान नहीं उठा सकते। इसलिए फिलहाल हमने 15 दिनों तक कारखाने बंद रखने का फैसला किया है।
पावरलूम बंद होने से मोहताज सिर्फ कारोबारी नहीं हैं। बंद का जब ऐलान हुआ तो कमीशन पर कपड़ा बनाने और इन कारखानों में दिनरात पसीना बहाने वाले मजदूरों की रोटी यकायक बंद हो गई। एनडीटीवी से बात करते हुए एआर टेक्सटाइल में काम करने वाले मोहम्मद शहजाद ने कहा " 3 दिनों से हम खाली बैठे हुए हैं। गांव पैसे भी नहीं भेज पाए हैं। अगर कारखाना नहीं खुलेगा तो हम मजबूरन दूसरे बड़े शहरों में जाएंगे। मोहम्मद मुकादम का भी कुछ ऐसा ही कहना था। उन्होंने कहा " रोज़ हम 40-50 मीटर कपड़ा बनाते हैं, जिससे 300-400 की कमाई हो जाती है, लेकिन फिलहाल हम मजबूर हैं।"
                                                                        
                                    
                                मुंबई से 50 किलोमीटर दूर बसा भिवंडी 1857 के दौर में पूर्वी उत्तरप्रदेश और बिहार के कई बुनकरों की पनाह बना। दो बड़े नेशनल हाईवे 3 और 8 के दो राहे पर बसा भिवंडी आज भी 'दो राहे' पर है। तरक्की जैसे इसे बस छूकर निकल गई है। संकरे रास्ते, खराब सड़कें, सब कुछ बिखरा-बिखरा सा। इसी में दिन-रात शोर मचाते पावरलूम, जिनका शोर 16 अगस्त से बंद है। भिवंडी में लगभग 12-15 हजार पावरलूम हैं, जिनमें 10 लाख से ज्यादा मजदूर काम करते हैं। देश दुनिया को यहां से कपड़ा निर्यात होता है।
भिवंडी पावरलूम एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल मन्नान सिद्दिकी ने कहा " भिवंडी से पूरी दुनिया में कपड़ा सप्लाई होता है। लाखों मजदूरों की दिहाड़ी पावरलूम से जुड़ी है, इसलिए हम 8 महीने से चुप थे, लेकिन अब हम और नुकसान नहीं उठा सकते। इसलिए फिलहाल हमने 15 दिनों तक कारखाने बंद रखने का फैसला किया है।
पावरलूम बंद होने से मोहताज सिर्फ कारोबारी नहीं हैं। बंद का जब ऐलान हुआ तो कमीशन पर कपड़ा बनाने और इन कारखानों में दिनरात पसीना बहाने वाले मजदूरों की रोटी यकायक बंद हो गई। एनडीटीवी से बात करते हुए एआर टेक्सटाइल में काम करने वाले मोहम्मद शहजाद ने कहा " 3 दिनों से हम खाली बैठे हुए हैं। गांव पैसे भी नहीं भेज पाए हैं। अगर कारखाना नहीं खुलेगा तो हम मजबूरन दूसरे बड़े शहरों में जाएंगे। मोहम्मद मुकादम का भी कुछ ऐसा ही कहना था। उन्होंने कहा " रोज़ हम 40-50 मीटर कपड़ा बनाते हैं, जिससे 300-400 की कमाई हो जाती है, लेकिन फिलहाल हम मजबूर हैं।"
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