गुजरात में बोर्ड परीक्षाएं दे रहे बच्चों को तनाव मुक्त रखने की कोशिशें की जा रही हैं.
अहमदाबाद:
गुजरात में बोर्ड की परीक्षाओं में बच्चों को दबाव से बचाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. 10वीं और 12वीं की बोर्ड की परीक्षाएं बुधवार को शुरू हो गईं. इस साल गुजरात में 12 लाख से ज्यादा विद्यार्थी यह परीक्षा दे रहे हैं. परीक्षा के पहले दिन स्कूल कर्मियों ने कहीं तिलक करके तो कहीं फूल देकर और कहीं प्रसाद देकर बच्चों का परीक्षा केन्द्रों पर स्वागत किया. हर स्कूल में परीक्षाओं में बच्चों को तनाव मुक्त करने की कोशिश दिखी. हर साल कई बच्चे परीक्षा के भय से या परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन न कर पाने पर गलत कदम उठा बैठते हैं. इसी को ध्यान में रखकर यह कदम उठाए जा रहे हैं.
परीक्षा के दौरान बच्चों पर ज्यादा दबाव न बनाया जाए, इसे लेकर अभिभावकों में भी जागृति आ रही है. एक पिता डॉ मेहुल मश्कारिया ने कहा कि वे समाज में देख रहे हैं कि बच्चों पर बेइंतहा दबाव डाला जा रहा है. ऐसा लगता है जैसे यह जीवन की अंतिम परीक्षा है. टॉप करने के लिए बच्चों पर दबाव डालने से फायदे के बजाय बच्चों का नुकसान होता है. ऐसा बहुत बार हमने देखा है. इसलिए मेहनत के बाद अब बच्चों को मुक्त मन से परीक्षा देने का माहौल बनाना चाहिए.
बच्चों पर दबाव न हो, बोर्ड की परीक्षा भी अन्य परीक्षाओं की तरह ही बच्चों के लिए आसान गुजरें इसके लिए कई संस्थाएं भी विशेष काम कर रही हैं. ऐसी ही एक संस्था ओएसिस की प्रमुख डॉ माया सोनी ने बताया कि हाल के माहौल से उन्हें थोड़ी चिंता है. वे बच्चों को समझाना चाहती हैं कि जिंदगी में और बहुत सारे अवसर मिलने वाले हैं. इस परीक्षा में हम बहुत अच्छा नहीं कर पाएं तो भी और बहुत कुछ जिंदगी में होना है. शायद इन कोशिशों का ही नतीजा है कि इस साल परीक्षा से पहले कोई दुर्घटना नहीं हुई है.
परीक्षा के दौरान बच्चों पर ज्यादा दबाव न बनाया जाए, इसे लेकर अभिभावकों में भी जागृति आ रही है. एक पिता डॉ मेहुल मश्कारिया ने कहा कि वे समाज में देख रहे हैं कि बच्चों पर बेइंतहा दबाव डाला जा रहा है. ऐसा लगता है जैसे यह जीवन की अंतिम परीक्षा है. टॉप करने के लिए बच्चों पर दबाव डालने से फायदे के बजाय बच्चों का नुकसान होता है. ऐसा बहुत बार हमने देखा है. इसलिए मेहनत के बाद अब बच्चों को मुक्त मन से परीक्षा देने का माहौल बनाना चाहिए.
बच्चों पर दबाव न हो, बोर्ड की परीक्षा भी अन्य परीक्षाओं की तरह ही बच्चों के लिए आसान गुजरें इसके लिए कई संस्थाएं भी विशेष काम कर रही हैं. ऐसी ही एक संस्था ओएसिस की प्रमुख डॉ माया सोनी ने बताया कि हाल के माहौल से उन्हें थोड़ी चिंता है. वे बच्चों को समझाना चाहती हैं कि जिंदगी में और बहुत सारे अवसर मिलने वाले हैं. इस परीक्षा में हम बहुत अच्छा नहीं कर पाएं तो भी और बहुत कुछ जिंदगी में होना है. शायद इन कोशिशों का ही नतीजा है कि इस साल परीक्षा से पहले कोई दुर्घटना नहीं हुई है.
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