सोमदेव का करियर 2012 में कंधे में बार-बार वापसी करने वाली चोट से थम गया
नई दिल्ली:
चोटों से परेशान भारत के स्टार एकल खिलाड़ी सोमदेव देववर्मन ने आज पेशेवर टेनिस से संन्यास लेने की घोषणा की. सोमदेव ने अपने ट्विटर पेज पर लिखा, ''2017 की शुरुआत नए तरीके से पेशेवर टेनिस से संन्यास लेकर कर रहा हूं. सभी का इतने वर्षों तक मेरा समर्थन करने और इतना प्यार देने के लिये शुक्रिया.''
इस 31 वर्षीय खिलाड़ी का करियर 2012 में कंधे में बार बार वापसी करने वाली चोट से थम गया. वह वापसी करने के लिये चोट से उबर गए थे लेकिन पिछले कुछ समय से बिना किसी विशेष कारण के टेनिस से दूर रहे.
ऐसी भी अटकलें हैं कि वह अब कोचिंग की जिम्मेदारी ले सकते हैं. सोमदेव ने जब 2008 में टेनिस में पदार्पण किया था, तब से वह भारत के स्टार एकल खिलाड़ी थे. भारत की डेविस कप टीम के नियमित सदस्य सोमदेव 14 मुकाबलों में खेल चुके हैं और 2010 में भारत को विश्व ग्रुप में पहुंचाने में उन्होंने अहम भूमिका अदा की थी.
सोमदेव दो एटीपी टूर-2009 चेन्नई ओपन में बतौर वाइल्ड कार्ड और 2011 दक्षिण अफ्रीका ओपन-के फाइनल में पहुंचे थे. वह चीन के ग्वांग्झू में हुए 2010 एशियाई खेलों के एकल और युगल स्वर्ण पदकधारी हैं. वर्ष 2008 में एनसीएए पुरुष टेनिस चैंपियनशिप में बनाया गया उनका जीत-हार का 44-1 रिकॉर्ड अभी तक कायम है. उन्हें 2011 में देश के दूसरे सर्वोच्च खेल सम्मान अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया था.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इस 31 वर्षीय खिलाड़ी का करियर 2012 में कंधे में बार बार वापसी करने वाली चोट से थम गया. वह वापसी करने के लिये चोट से उबर गए थे लेकिन पिछले कुछ समय से बिना किसी विशेष कारण के टेनिस से दूर रहे.
ऐसी भी अटकलें हैं कि वह अब कोचिंग की जिम्मेदारी ले सकते हैं. सोमदेव ने जब 2008 में टेनिस में पदार्पण किया था, तब से वह भारत के स्टार एकल खिलाड़ी थे. भारत की डेविस कप टीम के नियमित सदस्य सोमदेव 14 मुकाबलों में खेल चुके हैं और 2010 में भारत को विश्व ग्रुप में पहुंचाने में उन्होंने अहम भूमिका अदा की थी.
सोमदेव दो एटीपी टूर-2009 चेन्नई ओपन में बतौर वाइल्ड कार्ड और 2011 दक्षिण अफ्रीका ओपन-के फाइनल में पहुंचे थे. वह चीन के ग्वांग्झू में हुए 2010 एशियाई खेलों के एकल और युगल स्वर्ण पदकधारी हैं. वर्ष 2008 में एनसीएए पुरुष टेनिस चैंपियनशिप में बनाया गया उनका जीत-हार का 44-1 रिकॉर्ड अभी तक कायम है. उन्हें 2011 में देश के दूसरे सर्वोच्च खेल सम्मान अर्जुन पुरस्कार से नवाजा गया था.
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