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This Article is From Feb 17, 2019

शिवानंद तिवारी का हमला, जब देश शहीदों के गम में डूबा था तो सुशील मोदी CM के साथ लखनवी चाट का उठा रहे थे लुत्फ

जब से पुलवामा की घटना हुई हैं सभी राजनीतिक दलों में एक दूसरे से अधिक जवानो के परिवार वाले के प्रति संवेदनशील होने की और इस घटना के खबर के बावजूद शोक के माहौल में मनोरंजन करने का आरोप लगाने की होड़ लगी है.

शिवानंद तिवारी का हमला, जब देश शहीदों के गम में डूबा था तो सुशील मोदी CM के साथ लखनवी चाट का उठा रहे थे लुत्फ
शिवानंद तिवारी (फाइल फोटो)
पटना:

जब से पुलवामा की घटना हुई हैं सभी राजनीतिक दलों में एक दूसरे से अधिक जवानो के परिवार वाले के प्रति संवेदनशील होने की और इस घटना के खबर के बावजूद शोक के माहौल में मनोरंजन करने का आरोप लगाने की होड़ लगी है.  ऐसे ही एक उदाहरण उस समय देखने को मिला जब राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राष्ट्रीय प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने आरोप लगाया कि देश का आवाम शहीदों के ग़म में डूबा था और सुशील मोदी जी अपने मुख्यमंत्री के साथ राजभवन में लखनवी चाट का आनंद ले रहे थे. शिवानंद ने एक बयान में कहा कि अब वही सुशील मोदी दूसरों से देशभक्ति पर सवाल पूछ रहे हैं. मसूद अजहर को लेकर उन्होंने  लालू यादव पर सवाल उठाया है. सुशील भूल जा रहे हैं कि मसूद अजहर वही है जिसको भारतीय पुलिस ने पकड़ कर जेल में बंद कर दिया था. लेकिन इन्हीं की पार्टी की दिल्ली सरकार ने जम्मू की जेल से उसे निकालकर बहुत आदर के साथ उसे कंधार पहुंचाया था. उसी मसूद ने जेल से निकलने  के बाद  हमारे संसद पर घातक हमला करवाया था. यह तो संसद के हमारे सुरक्षा प्रहरियों ने अपनी जान देकर उनको मार गिराया. नहीं तो पता नहीं क्या होता. 

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शिवानंद के अनुसार दरअसल सुशील ने राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के स्कूल से दीक्षा पाई है. हरिशंकर परसाई कहते हैं कि संघ अपने शिष्यों के दिमाग से बुद्धि और विवेक को निकाल कर उसे नागपुर की तिजोरी में बंद कर देता सुशील मोदी और संघी जमात इस आतंकी घटना को हिंदुस्तान-पाकिस्तान के नज़रिए से नहीं बल्कि इसे हिंदू-मुसलमान के रूप में पेश करने की कोशिश रहा हैं. इनका प्रयास है कि लोग, खासकर हिंदू समाज इसे इसी नज़रिए देखें. ताकि लोकसभा चुनाव में इसका लाभ उनको मिले. इनके लोगों ने कल इस तरह का नारा भी लगाया. यह नजरिया देश को गंभीर अहित पहुंचाने वाला है. देश की सत्रह-अठारह करोड़ की आबादी वाले समूह को शक-सुबहे की नजर से देखना उन्मादी मानसिकता का परिचायक तो है ही साथ ही साथ यह हमारे संविधान की भावनाओं की विपरीत भी है. बल्कि इनका सहयोग लेकर ही इनके बीच के इक्का-दुक्का अतिवादी मानसिकता वाले को हम अलग-थलग कर कर सकते हैं. 

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राजद सहित महागठबंधन के साथियों पर यह अहम जवाबदेही है कि ऐसे उन्मादी तत्वों  द्वारा समाज में जहर फैलाने की कोशिश पर नजर रखें. समाज के सचेत और जागरूक लोगों को साथ लेकर कटुता फैलाने के इस तरह के प्रयास का प्रतिकार करें.

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