नई दिल्ली:
विदेशमंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि कूटनीति काम करती है जिसका नतीजा इतालवी सरकार के मछुआरों की हत्या के आरोपी मरीनों को वापस भेजने के फैसले में हुआ है।
खुर्शीद ने हालांकि इतालवी मीडिया में प्रकाशित उन रिपोर्टों से जुड़े सवालों से परहेज किया जिनमें कहा गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इतालवी सरकार के फैसले को प्रभावित किया।
मरीनों को भारत वापस भेजने के इतालवी सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए विदेशमंत्री ने कहा कि फैसले के बारे में उचित प्रक्रिया के माध्यम से इस संबंध में उच्चतम न्यायालय को सूचित किया जाएगा और वह खुद संसद को इसकी जानकारी देंगे।
उन्होंने कहा, मैं चाहूंगा और जैसा कि मैंने कहा है कि जो भी घटनाक्रम हुआ है उसे मैं संसद के साथ साझा करूंगा, लेकिन मैं निश्चित तौर पर कहूंगा कि हम लगातार संपर्क में हैं। उन्होंने कहा, मैंने बार-बार कहा है कि आपको कूटनीतिक (प्रयासों) को इतनी जल्दी खारिज नहीं करना चाहिए... और अंत में मैं कह सकता हूं कि कूटनीति उस समय काम कर रही होती है जब सब सोच रहे होते हैं कि सब कुछ खत्म हो गया। कृपया कूटनीति को उन चीजों को करने का थोड़ा ज्यादा मौका दीजिए जो हमारे देश के लिए जरूरी हैं।
खुर्शीद ने यह भी कहा कि कानून जैसा है वैसा ही रहेगा। जहां तक कानून की बात है, कुछ भी नहीं बदलेगा और मेरी समझ कानून को नहीं बदल सकती। इटली ने गुरुवार रात कहा था कि भारत सरकार से यह आश्वासन मिलने के बाद कि मरीनों के बुनियादी अधिकारों का संरक्षण किया जाएगा, वह दो मछुआरों की हत्या के आरोपी दोनों मरीनों को मामले में सुनवाई का सामना करने के लिए भारत भेजेगा।
इटली के मीडिया में आई इस आशय की खबरों कि सोनिया गांधी ने मरीनों के संबंध में फैसले पर असर डाला, खुर्शीद ने कहा कि इस सरकार के अंतर्गत जो कूटनीति होती है, इस सरकार के तहत किसी नीति को लागू करने के लिए जो कूटनीति होती है वह निश्चित रूप से प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष के निर्देश और उनकी प्रेरणा से होती है।
उन्होंने कहा, यह वह सरकार है, जिसका नेतृत्व वे कर रहे हैं और इसलिए जो कुछ हुआ है, उसका श्रेय हमसे से कोई भी अन्य ले तो यह अनुचित होगा। वे आगे बढ़कर इसका नेतृत्व करते हैं। हम इसके बारे में और कुछ भी साझा नहीं करते। हम आपके साथ वह सब कुछ साझा नहीं कर सकते जो हमसे सरकार की ओर से निजी रूप से कहा गया है लेकिन मुझे लगता है कि मूल बात यह है कि हमसे जो उम्मीद की गई है वह लोगों के बीच स्पष्ट हो गई है।
मरीनों की वापसी पर भाजपा की क्या प्रतिक्रिया होगी, यह पूछे जाने पर खुर्शीद ने कहा, मुझे नहीं मालूम कि यह मुद्दा है या नहीं लेकिन मुझे उम्मीद है कि वे इसे सही परिप्रेक्ष्य में लेंगे। मुझे उम्मीद है कि अगर कुछ राष्ट्रहित में हुआ है और जिससे राष्ट्रहित मजबूत होता है, उसका सभी को स्वागत करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट को मामले के बारे में सूचित किए जाने के संबंध में उन्होंने कहा, नहीं , मुझे नहीं लगता कि शीर्ष न्यायालय को इस तरह जानकारी दी जा सकती है और मामले पर 2 अप्रैल को सुनवाई होनी है। विदेश मंत्री ने कहा, इसलिए, उन्हें (संबंधित पक्ष) फैसला करना होगा और अगर वे आदेश में कोई सुधार चाहते हैं तो उसके लिए प्रक्रियाएं हैं। वकीलों को उन प्रक्रियाओं का रास्ता अपनाना होगा। आज शुक्रवार है और आपको मालूम है कि न्यायालय शनिवार और रविवार को नहीं बैठेगा।’ उन्होंने कहा, इसलिए सोमवार को, अगर किसी पक्ष को उचित लगता है तो वे इसे न्यायालय के संज्ञान में ला सकते हैं और उसे उचित तरीके से करना होगा।
खुर्शीद ने कहा कि जहां तक हमारी बात है, हम संसद को साथ लेकर चलेंगे। हम इसे संसद के साथ साझा करेंगे क्योंकि यह संसद का सत्र के दौरान एक बहुत बड़ा मुद्दा बना रहा है। इटली ने इससे पहले अपने मरीनों मासिमिलियानो लतोरे और सल्वातोरे गिरोने को अदालती सुनवाई का सामना करने के लिए भारत भेजने से इनकार किया था, जिससे राजनयिक संकट पैदा हो गया था। इस पर उच्चतम न्यायालय ने इटली के राजदूत के देश छोड़कर जाने पर रोक लगा दी थी।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले सप्ताह इटली के दो मरीनों को भारत भेजने से इनकार करने को ‘अस्वीकार्य’ करार दिया था और कहा था कि इटली के साथ यह मुद्दा उठाया जाएगा।
इटली सरकार ने एक बयान में कहा था कि भारत से आश्वासन मिलने पर मरीनों को वापस भारत भेजने का फैसला किया गया है, जिससे खुद मरीन भी सहमत हैं।
खुर्शीद ने हालांकि इतालवी मीडिया में प्रकाशित उन रिपोर्टों से जुड़े सवालों से परहेज किया जिनमें कहा गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इतालवी सरकार के फैसले को प्रभावित किया।
मरीनों को भारत वापस भेजने के इतालवी सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए विदेशमंत्री ने कहा कि फैसले के बारे में उचित प्रक्रिया के माध्यम से इस संबंध में उच्चतम न्यायालय को सूचित किया जाएगा और वह खुद संसद को इसकी जानकारी देंगे।
उन्होंने कहा, मैं चाहूंगा और जैसा कि मैंने कहा है कि जो भी घटनाक्रम हुआ है उसे मैं संसद के साथ साझा करूंगा, लेकिन मैं निश्चित तौर पर कहूंगा कि हम लगातार संपर्क में हैं। उन्होंने कहा, मैंने बार-बार कहा है कि आपको कूटनीतिक (प्रयासों) को इतनी जल्दी खारिज नहीं करना चाहिए... और अंत में मैं कह सकता हूं कि कूटनीति उस समय काम कर रही होती है जब सब सोच रहे होते हैं कि सब कुछ खत्म हो गया। कृपया कूटनीति को उन चीजों को करने का थोड़ा ज्यादा मौका दीजिए जो हमारे देश के लिए जरूरी हैं।
खुर्शीद ने यह भी कहा कि कानून जैसा है वैसा ही रहेगा। जहां तक कानून की बात है, कुछ भी नहीं बदलेगा और मेरी समझ कानून को नहीं बदल सकती। इटली ने गुरुवार रात कहा था कि भारत सरकार से यह आश्वासन मिलने के बाद कि मरीनों के बुनियादी अधिकारों का संरक्षण किया जाएगा, वह दो मछुआरों की हत्या के आरोपी दोनों मरीनों को मामले में सुनवाई का सामना करने के लिए भारत भेजेगा।
इटली के मीडिया में आई इस आशय की खबरों कि सोनिया गांधी ने मरीनों के संबंध में फैसले पर असर डाला, खुर्शीद ने कहा कि इस सरकार के अंतर्गत जो कूटनीति होती है, इस सरकार के तहत किसी नीति को लागू करने के लिए जो कूटनीति होती है वह निश्चित रूप से प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष के निर्देश और उनकी प्रेरणा से होती है।
उन्होंने कहा, यह वह सरकार है, जिसका नेतृत्व वे कर रहे हैं और इसलिए जो कुछ हुआ है, उसका श्रेय हमसे से कोई भी अन्य ले तो यह अनुचित होगा। वे आगे बढ़कर इसका नेतृत्व करते हैं। हम इसके बारे में और कुछ भी साझा नहीं करते। हम आपके साथ वह सब कुछ साझा नहीं कर सकते जो हमसे सरकार की ओर से निजी रूप से कहा गया है लेकिन मुझे लगता है कि मूल बात यह है कि हमसे जो उम्मीद की गई है वह लोगों के बीच स्पष्ट हो गई है।
मरीनों की वापसी पर भाजपा की क्या प्रतिक्रिया होगी, यह पूछे जाने पर खुर्शीद ने कहा, मुझे नहीं मालूम कि यह मुद्दा है या नहीं लेकिन मुझे उम्मीद है कि वे इसे सही परिप्रेक्ष्य में लेंगे। मुझे उम्मीद है कि अगर कुछ राष्ट्रहित में हुआ है और जिससे राष्ट्रहित मजबूत होता है, उसका सभी को स्वागत करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट को मामले के बारे में सूचित किए जाने के संबंध में उन्होंने कहा, नहीं , मुझे नहीं लगता कि शीर्ष न्यायालय को इस तरह जानकारी दी जा सकती है और मामले पर 2 अप्रैल को सुनवाई होनी है। विदेश मंत्री ने कहा, इसलिए, उन्हें (संबंधित पक्ष) फैसला करना होगा और अगर वे आदेश में कोई सुधार चाहते हैं तो उसके लिए प्रक्रियाएं हैं। वकीलों को उन प्रक्रियाओं का रास्ता अपनाना होगा। आज शुक्रवार है और आपको मालूम है कि न्यायालय शनिवार और रविवार को नहीं बैठेगा।’ उन्होंने कहा, इसलिए सोमवार को, अगर किसी पक्ष को उचित लगता है तो वे इसे न्यायालय के संज्ञान में ला सकते हैं और उसे उचित तरीके से करना होगा।
खुर्शीद ने कहा कि जहां तक हमारी बात है, हम संसद को साथ लेकर चलेंगे। हम इसे संसद के साथ साझा करेंगे क्योंकि यह संसद का सत्र के दौरान एक बहुत बड़ा मुद्दा बना रहा है। इटली ने इससे पहले अपने मरीनों मासिमिलियानो लतोरे और सल्वातोरे गिरोने को अदालती सुनवाई का सामना करने के लिए भारत भेजने से इनकार किया था, जिससे राजनयिक संकट पैदा हो गया था। इस पर उच्चतम न्यायालय ने इटली के राजदूत के देश छोड़कर जाने पर रोक लगा दी थी।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले सप्ताह इटली के दो मरीनों को भारत भेजने से इनकार करने को ‘अस्वीकार्य’ करार दिया था और कहा था कि इटली के साथ यह मुद्दा उठाया जाएगा।
इटली सरकार ने एक बयान में कहा था कि भारत से आश्वासन मिलने पर मरीनों को वापस भारत भेजने का फैसला किया गया है, जिससे खुद मरीन भी सहमत हैं।
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