केंद्रीय विश्वविद्यालयों (Central Universities) में आरक्षण (Reservation) कोटे के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने केंद्र सरकार (Central Government) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि याचिकाओं में जो आधार दिए गए हैं उन पर कोर्ट पहले से ही विचार कर चुका है. लिहाजा कोर्ट को अपने 23 जनवरी के फैसले में कोई त्रुटि नजर नहीं आती. कोर्ट ने खुली अदालत में सुनवाई की मांग भी ठुकरा दी.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा फंडेड विश्वविद्यालयों में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की नियुक्तियां घट सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोटे के लाभ के लिए विश्वविद्यालय नहीं बल्कि विभाग को एक इकाई के रूप में लिया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर मुहर लगाई है.
यह भी पढ़ें : विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्तियों के मामले पर बीजेपी बचाव की मुद्रा में
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और UGC की अपील खारिज कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला तर्कसंगत है. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद रुकी हुई भर्ती प्रक्रिया फिर से शुरू होगी. लगभग 6000 पदों पर भर्तियां रुकी हुई थीं.
यह भी पढ़ें : केंद्रीय विश्वविद्यालयों का मामला : सुप्रीम कोर्ट के फैसले से SC, ST और OBC की नियुक्तियों पर होगा असर
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों, प्रोफेसरों की भर्ती के लिए विश्वविद्यालय-स्तर पर नौकरियों को एक साथ जोड़कर नहीं देख सकते. एक विभाग के प्रोफेसर की दूसरे विभाग के प्रोफेसर से तुलना कैसे की जा सकती है?
यह भी पढ़ें : बिहार : विपक्षी आरजेडी की दो मांगों का सीएम नीतीश कुमार ने किया समर्थन
दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अप्रैल 2017 में 200 प्वाइंट वाले रोस्टर, जिसमें कॉलेज/यूनिवर्सिटी को एक यूनिट माना जाता था, रद्द कर दिया था और कहा था कि विश्वविद्यालय नहीं बल्कि विभाग को एक इकाई माना जाना चाहिए. इससे पहले UGC का रोस्टर लागू था जिसमें यूनिवर्सिटी को एक इकाई माना जाता था और SC, ST व ओबीसी को प्रोफेसर आदि के पद पर आरक्षण दिया जाता था.
VIDEO : आरक्षण के मामले में रोलबैक से यूजीसी का इनकार
हाईकोर्ट के फैसले के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने घोषणा की थी कि एक विभाग को अपने आप में ही बेस यूनिट माना जाएगा जिससे कि अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए सुरक्षित शिक्षकों के पदों की गणना की जा सके. SC-ST वर्ग से आने वाले शिक्षकों के लिए यह नुकसान की स्थिति हो गई. गतिरोध इतना बढ़ा कि कालेजों/विश्वविद्यालयों को तदर्थ (ad-hoc) शिक्षकों की मदद लेकर कक्षाएं चलानी पड़ीं.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं