लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) से पहले एक बड़ा कदम उठाते हुए पीएम मोदी (PM Modi) के नेतृत्व वाले केंद्रीय कैबिनेट ने ‘आर्थिक रूप से कमजोर' तबकों के लिए नौकरियों एवं शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण (Quota For Economically Weak) को सोमवार को मंजूरी दे दी. भाजपा (BJP) के समर्थन का आधार मानी जाने वाली अगड़ी जातियों की लंबे समय से मांग थी कि उनके गरीब तबकों को आरक्षण दिया जाए.
सूत्रों के मुताबिक सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत मंगलवार को संसद में विधेयक पेश कर सकते हैं. इसे पारित करने के लिए दो-तिहाई सदस्यों का समर्थन जरूरी है. सूत्रों ने बताया कि लोकसभा में पारित होने के बाद इसे राज्यसभा को भेजा जाएगा. भाजपा ने व्हिप जारी करके अपने सभी सांसदों से लोकसभा में रहने के लिए कहा है. वहीं, कांग्रेस ने शनिवार को अपने सांसदों को व्हिप जारी कर उनसे सोमवार और मंगलवार को संसद में मौजूद रहने को कहा था.
इस विधेयक के जरिए पहली बार गैर-जातिगत एवं गैर-धार्मिक आधार पर आरक्षण देने की कोशिश की गई है. प्रस्तावित आरक्षण अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) को मिल रहे आरक्षण की 50 फीसदी सीमा के अतिरिक्त होगा, यानी ‘आर्थिक रूप से कमजोर' तबकों के लिए आरक्षण लागू हो जाने पर यह आंकड़ा बढकर 60 फीसदी हो जाएगा.
प्रस्ताव पर अमल के लिए संविधान संशोधन विधेयक संसद से पारित कराने की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है. इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में जरूरी संशोधन करने होंगे. संसद में संविधान संशोधन विधेयक पारित कराने के लिए सरकार को दोनों सदनों में कम से कम दो-तिहाई बहुमत जुटाना होगा. लोकसभा में तो सरकार के पास बहुमत है, लेकिन राज्यसभा में उसके पास अपने दम पर विधेयक पारित कराने के लिए जरूरी संख्याबल का अभाव है.
राज्यसभा की कार्यवाही एक दिन के लिए बढ़ाई गई
संविधान संशोधन विधेयक के जरिए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में एक धारा जोड़कर शैक्षणिक संस्थाओं और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया जाएगा. अब तक संविधान में एससी-एसटी के अलावा सामाजिक एवं शैक्षणिक तौर पर पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान है, लेकिन इसमें आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का कोई जिक्र नहीं है. प्रस्तावित कानून का लाभ ब्राह्मण, राजपूत (ठाकुर), जाट, मराठा, भूमिहार, कई व्यापारिक जातियों, कापू और कम्मा सहित कई अन्य अगड़ी जातियों को मिलेगा. सूत्रों ने बताया कि अन्य धर्मों के गरीबों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा.
इस विधेयक में प्रावधान किया जा सकता है कि जिनकी सालाना आय 8 लाख रुपए से कम और जिनके पास पांच एकड़ से कम कृषि भूमि है, उन्हें आरक्षण का लाभ मिल सकता है. सूत्रों ने बताया कि ऐसे लोगों के पास नगर निकाय क्षेत्र में 1000 वर्ग फुट या इससे ज्यादा क्षेत्रफल का फ्लैट नहीं होना चाहिए और गैर-अधिसूचित क्षेत्रों में 200 यार्ड से ज्यादा का फ्लैट नहीं होना चाहिए.
सवर्ण आरक्षण बिल को पारित करने के लिए मोदी सरकार के पास सिर्फ एक दिन
भाजपा ने मोदी सरकार के इस कदम को ‘ऐतिहासिक' करार दिया जबकि विपक्ष ने इसके समय पर सवाल उठाया. कांग्रेस ने इसे ‘‘चुनावी जुमला'' करार दिया. बहरहाल, विपक्षी पार्टियों ने सरकार के इस कदम को अपना समर्थन व्यक्त किया है.
यह पूछे जाने पर कि क्या कांग्रेस संसद में इस विधेयक को पारित करने में मदद करेगी, इस पर पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘आर्थिक तौर पर गरीब व्यक्ति के बेटे या बेटी को शिक्षा एवं रोजगार में अपना हिस्सा मिलना चाहिए. हम इसके लिए हर कदम का समर्थन करेंगे.' अपनी पार्टी का समर्थन व्यक्त करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने मोदी सरकार से कहा कि वह संसद सत्र का विस्तार करे और इसे तत्काल कानून बनाने के लिए संविधान में संशोधन करे, वरना यह महज ‘चुनावी स्टंट' साबित होगा.
(इनपुट- भाषा)
आर्थिक रूप से पिछड़ों को आरक्षण, जानिए किनको मिलेगा लाभ...
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