उत्तर प्रदेश में कोरोनावायरस (Coronavirus) के मामलों की रफ्तार बेकाबू होती जा रही है. राजधानी लखनऊ, प्रयागराज, कानपुर और वाराणसी कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित जिले हैं. यूपी में कोरोना के कहर के बीच कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi) ने राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) को चिट्ठी भेजी है. प्रियंका ने अपने पत्र में प्रदेश के अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और दवाइयों की किल्लत की बात उठाई है. साथ ही कहा कि राज्य में कोरोना टेस्टिंग की दर काफी कम है.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अपनी चिट्ठी में सीएम योगी को कुछ सुझाव भी दिए हैं. साथ ही उस पर विचार करने का आग्रह किया है. गांधी ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में तो जांच तक नहीं हो रही है, शहरी इलाकों के लोगों को जांच कराने में काफी मुश्किलें हैं. कई दिन तक रिपोर्ट नहीं आती. 23 करोड़ की आबादी वाले राज्य में प्रदेश सरकार के पास केवल 126 परीक्षण केंद्र और 115 निजी जांच केंद्र हैं.
प्रियंका गांधी ने पत्र में लिखा है कि पूरी दुनिया में कोरोना की ये जंग चार स्तंभों पर टिकी है – जांच, उपचार, ट्रैक और टीकाकरण. यदि आप पहले खंभे को ही गिरा देंगे तो फिर हम इस जानलेवा वायरस को कैसे हराएंगे?
पूरी दुनिया में कोरोना से जंग चार स्तंभों पर टिकी है: जांच, उपचार, ट्रैकिंग व टीकाकरण
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) April 27, 2021
यूपी में जांचें बहुत कम हैं। ग्रामीण इलाकों में न के बराबर हैं। टीकाकरण की गति धीमी है।
मैंने मुख्यमंत्री जी को पत्र के माध्यम से कुछ सकारात्मक सुझाव दिए हैं। आशा है वे इन पर अमल करेंगे। pic.twitter.com/au5neW0MKD
प्रियंका गांधी ने दिये 10 सुझाव
महासचिव ने पत्र में लिखा है कि इस महाविपदा को रोकिये. हम अपने स्तर पर हर जिले में जनता की यथासंभव मदद कर रहे हैं. मैं आपको तत्काल कार्रवाई योग्य कुछ सुझाव दे रही हूं. मुझे आशा है कि आप इन पर सकारात्मक ढंग से विचार करेंगे.
1)- सभी स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स के कल्याण के लिए एक समर्पित आर्थिक पैकेज की घोषणा की जाए.
2)- सभी बंद किये जा चुके कोविड अस्पतालों और देखभाल केंद्रों को फिर से तुरंत अधिसूचित करें और युद्ध स्तर पर ऑक्सीजन-युक्त बेड की उपलब्धता बढ़ाएं. प्रादेशिक सेवा से निवृत्त हुए सभी चिकित्साकर्मियों, मेडिकल व पैरा-मेडिकल स्टाफ को उनके घरों के पास स्थित अस्पतालों में काम करने के लिए बुलाया जाए.
3)- कोरोना संक्रमण एवं मौत के आंकड़ों को ढंकने, छुपाने के बजाये श्मशान, क़ब्रिस्तान और नगरपालिका निकायों से परामर्श कर पारदर्शिता से लोगों को बताया जाए.
4)- RTPCR जांच की संख्या बढ़ाएं. सुनिश्चित करें कि कम से कम 80% जांच RTPCR द्वारा हों. ग्रामीण क्षेत्रों में नये जांच केंद्र खोलें और पर्याप्त जांच किटों की खरीद तथा प्रशिक्षित कर्मचारियों से उनकी मदद करें.
5)- आंगनबाड़ी और आशा कर्मियों की मदद से ग्रामीण इलाकों में दवाओं व उपकरणों की कोरोना किट बंटवाई जाए, ताकि लोगों को सही समय पर शुरूआती दौर में ही इलाज व दवाई मिल सके और अस्पताल जाने की नौबत ही न आये. जीवनरक्षक दवाइयों की कालाबाजारी पर रोक लगाई जाए.
6)- ऑक्सीजन के भण्डारण की एक नीति तुरंत बनायी जाए ताकि आपात स्थिति के लिए हर जिला मुख्यालय पर ऑक्सीजन का रिजर्व भण्डार तैयार हो सके. हर ऑक्सीजन टैंकर को पूरे राज्यभर में एम्बुलेंस का स्टेटस दिया जाए ताकि परिवहन आसान हो सके.
7)- इस संकट के चलते बंदिशों का दंश झेल रहे सभी गरीबों, श्रमिकों, रेहड़ी पटरी वाले और देश के अन्य राज्यों से अपनी रोज़ी-रोटी छोड़कर घर लौटने वाले गरीबों को नकद आर्थिक मदद की जाए.
8)- प्रदेश में युद्ध स्तर पर तुरंत वैक्सीनेशन की शुरुआत हो। प्रदेश की 60% आबादी का टीकाकरण करने के लिए यूपी को कम से कम 10,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी, जबकि इसके लिए उसे केवल 40 करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं. इसलिए मैं आपसे बुलंदशहर में बने भारत इम्युनोलॉजिकल एंड बायोलॉजिकल कॉर्पोरेशन में टीके के निर्माण की संभावना तलाशने का आग्रह करती हूं.
9)- कोरोना की पहली लहर से बुनकर, कारीगर, छोटे दुकानदार, छोटे कारोबार तबाह हो चुके हैं. दूसरी लहर में उन्हें कम से कम कुछ राहत जैसे बिजली, पानी, स्थानीय टैक्स आदि में राहत दी जाए ताकि वे भी खुद को संभाल सकें.
10)- यह सबकी मदद लेने, सबका साथ देने, सबका हाथ थामने का समय है. इस समय आपकी सरकार को लोगों, दलों और संस्थाओं को आगे आने और मदद करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए.
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