बकाये का भुगतान न करने वाली पार्टियों को चुनाव लड़ने पर रोक लगे : चुनाव आयोग

बकाये का भुगतान न करने वाली पार्टियों को चुनाव लड़ने पर रोक लगे : चुनाव आयोग

चुनाव आयोग का मानना है कि राजनीतिक दलों को भी चुनाव लड़ने से पहले बकाया भुगतान का प्रमाण पत्र देना चाहिए (फाइल फोटो)

खास बातें

  • राजनीतिक दलों को राजधानी दिल्ली में सरकारी आवास मिला है
  • दिल्ली में कार्यालय का पार्टियों को किराया अदा करना होता है
  • no-dues का नियम राजनीतिक दलों पर भी लागू होना चाहिए
नई दिल्ली:

बिजली ,पानी ,टेलीफोन कनेक्शन और आवास संबंधी बकाए का भुगतान नहीं करने वाले उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से रोकने का प्रस्ताव लाने के बाद अब निर्वाचन आयोग ऐसी ही व्यवस्था राजनीतिक दलों के लिए भी लाना चाहता है. चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को पत्र लिखकर इस मुद्दे और दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश के क्रियान्वयन के तौर-तरीकों पर राय मांगी है.

अदालती आदेश में कहा गया था कि बकाया नहीं होने का प्रमाणपत्र सिर्फ उम्मीदवारों को नहीं, बल्कि प्रत्याशी खड़े करने से पहले राजनीतिक दलों को भी जमा करना चाहिए. अगस्त, 2015 के अपने आदेश में अदालत ने चुनाव आयोग से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को बिजली, पानी, टेलीफोन कनेक्शन और आवास से संबंधित बकाया नहीं होने का प्रमाणपत्र जमा करना होगा. कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि इसी तरह का नियम राजनीतिक दलों पर भी लागू होना चाहिए.

मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने कहा कि वे उच्च न्यायालय के आदेश पर विचार कर रहे हैं. इसमें कहा गया था कि यह सिर्फ उम्मीदवारों नहीं, बल्कि राजनीतिक दलों से भी संबंधित है. आयोग राजनीतिक दलों से संपर्क में है और इस बारे में उनकी राय मांगी है.

उन्होंने यह भी कहा कि कुछ उम्मीदवार हाल के विधानसभा चुनावों में अपने नामांकन दाखिल नहीं कर सके क्योंकि उन्होंने बकाया नहीं होने का प्रमाण नहीं दिया था. देश की राजनीतिक पार्टियों जैसे बीजेपी, कांग्रेस, राकांपा, भाकपा, माकपा, बीएसपी, तृणमूल कांग्रेस, सपा और अन्नाद्रमुक को राष्ट्रीय राजधानी में सरकारी आवास मिला हुआ है जिसके लिए उन्हें किराया अदा करना होता है.

 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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