Pegasus snooping Case:पेगासस जासूसी मामले (Pegasus snooping row) को लेकर अदालत की निगरानी में SIT जांच की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में मंगलवार को सुनवाई हुई. CJI एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट मामले में वकील एमएल शर्मा, माकपा सांसद जॉन ब्रिटास, पत्रकार एन राम, पूर्व आईआईएम प्रोफेसर जगदीप चोककर, नरेंद्र मिश्रा, परंजॉय गुहा ठाकुरता, रूपेश कुमार सिंह, एसएनएम आब्दी, पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया सहित 12 याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है. इस मामले में सुनवाई 13 सितंबर तक टल गई है.
आज की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल (SG)तुषार मेहता ने तर्क दिया कि सुरक्षा और सैन्य एजेंसियों द्वारा राष्ट्रविरोधी और आतंकवादी गतिविधियों की जांच के लिए कई तरह के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है. उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार यह सार्वजनिक नहीं करेगी कि वह किस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रही है ताकि आतंकी नेटवर्क अपने सिस्टम को मॉडिफाई कर सकें और ट्रैकिंग से बच सकें. मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार, निगरानी के बारे में सभी तथ्यों को एक विशेषज्ञ तकनीकी समिति के समक्ष रखने के लिए तैयार है जो अदालत को एक रिपोर्ट दे सकती है. शीर्ष अदालत के उस सवाल पर कि क्या केंद्र एक विस्तृत हलफनामा दायर करने के लिए तैयार है, मेहता ने कहा कि दायर दो पृष्ठ का हलफनामा याचिकाकर्ता एन राम और अन्य द्वारा उठाई गई चिंताओं का पर्याप्त रूप से जवाब देता है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा. SG ने कहा कि वो किसी कारण हलफनामा दाखिल नहीं कर पाए. याचिकाकर्ता की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. इस पर SC ने मामले की सुनवाई 13 सितंबर तक टाल दी.
इससे पहले, याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अन्य ने कहा कि हम भी नहीं चाहते कि सरकार, राज्य की सुरक्षा के बारे में कोई जानकारी दें.अगर पेगासस को एक तकनीक के रूप में इस्तेमाल किया गया तो उन्हें जवाब देना होगा. बेंच ने कहा कि हम चर्चा करेंगे कि क्या करने की जरूरत है? हम गौर करेंगे कि अगर विशेषज्ञों की समिति या कोई अन्य समिति बनाने की जरूरत है ? केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि याचिकाओं में लगाए गए सभी आरोप निराधार और बेबुनियाद है. केंद्र ने कहा था कि विशेषज्ञों की एक कमेटी इस पूरे मामले की जांच करेगी. केंद्र सरकार का बार-बार यह कहना था कि सुरक्षा उद्देश्यों के लिए फोन को इंटरसेप्ट करने के लिए किस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया, इसका सार्वजनिक तौर पर खुलासा नहीं किया जा सकता.गौरतलब है कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. SC की बेंच ने कहा था कि वह मामले के सभी पहलुओं को देखने के लिए विशेषज्ञों की समिति बनाने के केंद्र के प्रस्ताव की जांच करेगी.
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