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सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन को लेकर बनाई कमेटी, रिटायर्ड जज करेंगे अध्‍यक्षता

सुप्रीम कोर्ट ने वृंदावन के श्री बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है, जिसकी अध्यक्षता  इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अशोक कुमार करेंगे. 

सुप्रीम कोर्ट ने बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन को लेकर बनाई कमेटी, रिटायर्ड जज करेंगे अध्‍यक्षता
  • सुप्रीम कोर्ट ने वृंदावन के श्री बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए एक विशेष कमेटी का गठन किया है.
  • अध्यक्षता हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अशोक कुमार करेंगे, उन्‍हें 2 लाख रुपये प्रति माह मानदेय दिया जाएगा.
  • कमेटी मंदिर के रोजमर्रा कार्यों का संचालन करेगी और विकास के लिए भूमि खरीद की योजना बनाएगी.
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नई दिल्‍ली :

सुप्रीम कोर्ट ने वृंदावन के श्री बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन के लिए अपनी ओर से कमेटी बनाई है. इलाहाबाद हाई कोर्ट जब तक यूपी सरकार की ओर से जारी अध्यादेश पर आदेश नहीं दे देता है, तब तक सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त यह कमेटी मंदिर के रोजमर्रा का काम देखेगी. कमेटी की अध्यक्षता  इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस अशोक कुमार करेंगे. इस दौरान यूपी सरकार अपने अध्यादेश के मुताबिक मंदिर के प्रबंधन के लिए ट्रस्ट का गठन नहीं कर पाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने अध्यादेश के इस हिस्से पर रोक लगाई है.  

कमेटी के अध्यक्ष को प्रति माह 2 लाख रुपये मानदेय दिया जाएगा, जिसका वहन मंदिर के खातों से किया जाएगा. साथ ही ⁠उन्हें परिवहन सुविधाओं सहित सभी आवश्यक सहायता भी प्रदान की जाएगी. समिति के सदस्य मुकेश मिश्रा को मानदेय के रूप में प्रति माह 1 लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा, जिसका वहन मंदिर कोष के खातों से किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी का मथुरा में एक कार्यालय होगा, जिसके लिए जिला प्रशासन को बिना किसी शुल्क के तत्काल उपयुक्त स्थान उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है. 

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अपनी ओर से यूपी सरकार के अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करने से इंकार किया है. साथ ही याचिकाकर्ताओं से कहा कि वो इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपनी बात रखें. 

सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी करेगी ये कार्य

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कमेटी, मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्र के विकास की योजना बनाने का प्रयास करेगी, जिसके लिए आवश्यक भूमि की उपयुक्त खरीद के लिए निजी तौर पर बातचीत कर सकती हैं. यदि ऐसी कोई बातचीत सफल नहीं होती है, तो राज्य सरकार को कानून के अनुसार आवश्यक भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही करने का अधिकार होगा.

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश मे कहा है कि कमेटी में गोस्वामियों का प्रतिनिधित्व करने वाले 4 सदस्यों के अलावा, किसी दूसरे गोस्वामी या सेवायत को मंदिर के महत्वपूर्ण कार्यों के प्रबंधन में किसी भी तरह से हस्तक्षेप या बाधा डालने की इजाजत नहीं होगी, चार नामित सदस्यों के अलावा दूसरे सिर्फ गोस्वामियों को पूजा/सेवा करने और देवता को प्रसाद चढ़ाने का अधिकार होगा. 

साल भर में फैसला देने की कोशिश करें: सुप्रीम कोर्ट 

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से अनुरोध किया है कि इस विवाद का जल्द निपटारा करे और याचिका दाखिल होने के एक साल के अंदर फैसला देने की कोशिश करे. 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि हमें इस बात का दुख है कि प्रशासनिक गतिरोध और सेवायत के आपसी संघर्ष के चलते मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को बीते सालों में परेशानी झेलनी पड़ी है. हालांकि इस मंदिर को सैकड़ों करोड़ का दान मिलता रहा है. इसके बावजूद मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को जरूरी सुविधाएं प्रदान करने को लेकर  प्रबंधन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. ⁠सेवायतों के आपसी टकराव और आपस में चलने वाली अदालती लड़ाइयों के चलते भी प्रशासनिक स्तर पर कोई कदम नहीं उठाए गए. 

समिति के सदस्‍यों में ये हैं शामिल 

समिति के अन्य सदस्यों में यूपी के रिटायर्ड जिला एवं सत्र न्यायाधीश मुकेश मिश्रा, मथुरा के जिला एवं सत्र न्यायाधीश या सिविल जज, जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर आयुक्त, मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष,
एक प्रसिद्ध वास्तुकार, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का एक प्रतिनिधि और दोनों गोस्वामी समूहों से दो-दो सदस्य होंगे. 
 

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