बाढ़ के मुद्दे पर संसदीय समिति ने बिहार सरकार के अधिकारियों से पूछे तीखे सवाल

सूत्रों के मुताबिक बिहार बाढ़ पर हुए मंथन में बिहार सरकार के अधिकारियों ने राज्य में बाढ़ के संकट के लिए नेपाल की तरफ से सीमावर्ती ज़िलों में बहने वाली नदियों में ज्यादा पानी छोड़ने को ज़िम्मेदार ठहराया.

बाढ़ के मुद्दे पर संसदीय समिति ने बिहार सरकार के अधिकारियों से पूछे तीखे सवाल

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:

बिहार में बाढ़ का कहर जारी है, लाखों लोग इसके प्रकोप से जूझ रहे हैं. सोमवार को इस आपदा के बीच जल संसाधन मामलों पर संसदीय समिति की बैठक में बिहार सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को कठिन सवालों का सामना करना पड़ा. सूत्रों के मुताबिक बिहार बाढ़ (Bihar flood) पर हुए मंथन में बिहार सरकार (Bihar government) के अधिकारियों ने राज्य में बाढ़ के संकट के लिए नेपाल की तरफ से सीमावर्ती ज़िलों में बहने वाली नदियों में ज्यादा पानी छोड़ने को ज़िम्मेदार ठहराया. लेकिन सांसदों ने उनसे सवाल-जवाब करते हुए पूछा कि बिहार सरकार ने सीमावर्ती ज़िलों में बाढ़ प्रबंधन के लिए सक्रियता से पहल क्यों नहीं की? ड्रेजिंग और दे-सिल्टिंग ऑपरेशन्स सही तरीके से क्यों नहीं किये गए?


संसदीय समिति ने पूछा कि सीमावर्ती ज़िलों में जो एम्बैंकमेंटस बनाये गए, उनमे कुछ बाढ़ में टूट गए, इसकी जिम्मेदारी किसकी है? समिति ने अधिकारीयों को निर्देश दिया कि सीमावर्ती ज़िलों में बाढ़ प्रबंधन और एम्बैंकमेंटस की सुरक्षा की जवाबदेही तय की जाये. बिहार में गंगा flood कण्ट्रोल कमीशन और सेंट्रल वाटर कमीशन के चेयरमैन रहे ए के बजाज का कहना है कि संकट बड़ा है और इसके लिए संस्थागत तरीके से पहल शुरू करनी होगी.

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गौरतलब है कि संसदीय समिति ने बिहार में बाढ़ के प्रकोप पर ऐसे समय पर हस्तक्षेप किया है जब राज्य के 16 ज़िलों में
कुल 81 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हो चुके हैं. अब संसदीय समिति ने विदेश मंत्रालय और निति आयोग के वरिष्ठ अधिकारीयों को सम्मन करने का फैसला किया है. समिति जानना चाहती है की राजनयिक स्टार पर नेपाल के साथ सीमा पर बहनी वाली नदियों के प्रबंधन के लिए क्या नीतिगत समझौते किये गए हैं और बॉर्डर डेवलपमेंट प्रोग्रम के तहत निति आयोग क्या पहल कर रहा है.
 

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