राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (National Statistical Commission) के दो सदस्यों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम (P Chidambaram) ने बुधवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि ‘‘इस संस्था की आत्मा को शांति मिले, जब तक कि इसका दोबारा जन्म ना हो जाए. बता दें कि राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के कार्यवाहक प्रमुख पीसी मोहनन और सदस्य जे वी मीनाक्षी ने इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार बेरोज़गारी के आंकड़े दबा रही है.
उनका कहना है कि 5 दिसंबर 2018 को ही नेशनल सैंपल सर्वे का डेटा मंज़ूर कर सरकार को दे दिया गया था, मगर आज तक जारी नहीं हुआ. इस इस्तीफे के बाद चार सदस्यों वाले राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग में अब दो ही सदस्य रह गए हैं. जे वी मीनाक्षी दिल्ली स्कूल आफ इकोनमिक्स में प्रोफेसर हैं और पी सी मोहनन इंडियन statistical सर्विस के सदस्य रहे हैं.
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पी चिदंबरम ने एक के बाद एक लगातार तीन ट्वीट किए और मोदी सरकार पर हमला बोला. उन्होंने लिखा- सरकार की बदनीयत के चलते 29 जनवरी, 2019 को एक और सम्मानित संस्थान ख़त्म हो गया.
सरकार की बदनीयत के चलते 29 जनवरी, 2019 को एक और सम्मानित संस्थान ख़त्म हो गया।
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) January 30, 2019
पूर्व वित्त मंत्री ने चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, ''हम राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग की मौत का शोक मनाते हैं. साफ-सुथरे जीडीपी डेटा और रोजगार डेटा को रिलीज करने के लिए इसकी साहसिक लड़ाई को आभार के साथ याद करते हैं.'' उन्होंने कहा, ''इस आयोग की आत्मा को शांति मिले, जब तक कि इसका दोबारा जन्म ना हो जाए.''
हम राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के ख़त्म होने पर गहरा अफ़सोस जाहिर करते हैं और इसके द्वारा विश्वसनीय जीडीपी आंकड़े और रोजगार के आंकड़े जारी करने की साहसी लड़ाई को कृतज्ञता से याद करते हैं।
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) January 30, 2019
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गौरतलब है कि सांख्यिकी आयोग के दो स्वतंत्र सदस्यों पी सी मोहनन और जे वी मीनाक्षी ने सरकार के साथ कुछ मुद्दों पर असहमति होने के चलते इस्तीफा दे दिया है. एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी. मोहनन आयोग के कार्यकारी अध्यक्ष भी थे.
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दरअसल, इस इस्तीफे के बाद चीफ स्टेटिशियन प्रवीण श्रीवास्तव और नीति आयोग के अमिताभ कांत ही बचे रह गए हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक पीसी मोहनन का कहना है कि हमें कई महीनों से लग रहा था कि हमें कोई गंभीरता से नहीं ले रहा है और किनारे लगाया जा रहा है. नेशनल स्टेटिस्टिकल कमिशन के फैसलों को लागू नहीं किया जा रहा था. गौरतलब है कि पिछले साल जुलाई में इस कमीशन ने जीडीपी आंकड़ों की समीक्षा कर बताया था कि यूपीए के समय 2010-11 में जीडीपी 10.08 परसेंट हो गई थी. मगर सरकार ने उनकी रिपोर्ट पलट दी. इस्तीफे का एक कारण यह भी बताया जा रहा है.
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