OROP के लिए प्रदर्शन करते पूर्व सैनिक
नई दिल्ली: ये अब लाख टके का सवाल है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लालकिले से पूर्व सैनिकों के लिए वन-रैंक वन-पेंशन का ऐलान करेंगे या नहीं? कोई भी ये बात दावे के साथ नहीं कह सकता कि प्रधानमंत्री मोदी के मन में क्या चल रहा है? दिल्ली के जंतर-मंतर पर पिछले दो महीने से शांति पूर्ण रिले भूख हड़ताल पर बैठे पूर्व सैनिकों के साथ आज जो कुछ हुआ उसे कतई ठीक नहीं कहा सकता।
जबरदस्ती पूर्व सैनिकों को हटाने की कोशिश करना वो भी सुरक्षा के नाम पर किसी को हजम नहीं हुआ। ये वही है जिन्होंने देश के लिए अपनी जवानी कुर्बान कर दी और जरूरत पड़ी तो हंसते-हंसते गोली खा ली।
पूर्व सैनिकों की नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि पीएम मोदी ने एक बार नहीं कम से कम तीन बार पूर्व सैनिकों से वादा किया कि वो वन-रैंक वन-पेंशन लागू करेंगे। सबसे पहले दो साल पहले 15 सितंबर 2013 को उन्होंने रेवाड़ी में ये वादा किया। फिर 14 जून 2014 को विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य पर कहा कि वे वन-रैंक वन-पेंशन लागू करने के लिए वचनवद्ध हैं। फिर 23 अक्टूबर 2014 को पीएम ने सियाचिन में सैनिकों से यही बात दोहराई। लेकिन 30 मई 2015 को मन की बात में मन बदल गया और पीएम ने कहा कि मामला उतना सीधा नहीं बल्कि पेचीदा है।
बावजूद इसके खुद पीएम से लेकर रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर भरोसा दिलाते रहे इसे सरकार लागू करेगी पर कब इसका डेडलाइन देने को तैयार नहीं है।
वैसे आज की इस हरकत से सोशल मीडिया पर सरकार की छवि को काफी धक्का लगा है। खासकर 15 अगस्त से एक दिन पहले भारतीय सेना के पूर्व जवानों के साथ ऐसी हरकत से सरकार की छवि को धक्का लगा है और अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी ने जंतर-मंतर पर जाकर जिस तरह से पूर्व सैनिकों को समर्थन दिया उससे तो सरकार और भी बैकपुट पर आ गई है।
अगर लाल किले से पीएम मोदी वन वन पेंशन का ऐलान नहीं करते है तो कहीं ना कहीं उनके साख पर सवाल उठेंगे।