नोटबंदी से रीयल्टी क्षेत्र पर गहरा असर, पारदर्शिता भी आई: विशेषज्ञ

नोटबंदी की वजह से मकानों की बिक्री बुरी तरह प्रभावित हुई और उनके दाम नीचे आये लेकिन रीयल्टी क्षेत्र को इसका काफी फायदा भी हुआ है.

नोटबंदी से रीयल्टी क्षेत्र पर गहरा असर, पारदर्शिता भी आई: विशेषज्ञ

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:

नोटबंदी की वजह से मकानों की बिक्री बुरी तरह प्रभावित हुई और उनके दाम नीचे आये लेकिन रीयल्टी क्षेत्र को इसका काफी फायदा भी हुआ है. नोटबंदी की वजह से इस क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ी है. यह कहना है कि रीयल्टी डेवलपर्स और सलाहकारों का. पिछले साल आठ नवंबर को अचानक 500 और 1000 रुपये के नोट बंद कर दिये जाने से जमीन और आलीशान मकानों के सौदे बुरी तरह प्रभावित हुये हैं, क्योंकि इस तरह के बड़े सौदों में आमतौर पर कालेधन का ज्यादा इस्तेमाल होता रहा है. रीयल्टी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी डीएलएफ के सीईओ राजीव तलवार ने कहा यह भविष्य की दिशा में उठाया गया कदम है और इसका मकसद भारत को 1,000 से 1,500 अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाना है. उन्होंने कहा कि पिछले साल यह जो कदम उठाया गया इसका नाम 'ई-मौद्रीकरण' रखा जाना चाहिए.

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उन्होंनें कहा कि इसका रीयल एस्टेट क्षेत्र में जो सकारात्मक असर पड़ है वह यह है कि अब दूसरे दर्जे का लेनदेन भी बैंकिंग चैनल के जरिये होने लगा है और इसमें नकदी उपलब्ध नहीं है. तलवान ने कहा कि आवासों की बिक्री पिछले चार-पांच साल से कम है और इसपर नोटबंदी का कोई असर नहीं है. रीयल एस्टेट की परियोजनाओं की मंजूरी प्रक्रिया को बेहतर किया जाना चाहिए.

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रीयल एस्टेट क्षेत्र के संगठन नारेडको के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि पिछले एक साल के दौरान केवल नोटबंदी ही नहीं हुई बल्कि कई और बड़े नीतिगत कदम उठाये गये हैं। इस दौरान रेरा का क्रियान्वयन हुआ, कराधान क्षेत्र में सुधार हुआ और जीएसटी भी लागू हुआ. उन्होंने कहा कि ईमानदारी से कहा जाये तो इनका इन सभी के लागू होने से शुरुआती परेशानियां रहीं हैं लेकिन सौभाग्य की बात है कि अब तक सभी चीजें नियंत्रण में हैं. नोटबंदी से रीयल एस्टेट क्षेत्र में बेहतर क्षमता और पारदर्शिता आई है और हम इसका स्वागत करते हैं.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)


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