'जिला नहीं तो वोट नहीं' : दुद्धी को जिला बनाने की मांग पर अड़े लोग, सालों से हो रहा है इंतजार

सोनभद्र के जिला मुख्यालय से दुद्धी के कई गांव 120 किलोमीटर से लेकर 150 किलोमीटर तक दूर हैं. लिहाजा यहां सुविधाओं का घोर अभाव है इसलिये इसे अलग से जिला बनाने की मांग की जा रहीहै.

'जिला नहीं तो वोट नहीं' :  दुद्धी को जिला बनाने की मांग पर अड़े लोग, सालों से हो रहा है इंतजार

वाराणसी:

UP Assembly elections 2022: दुद्धी को जिला बनाने का ये प्रदर्शन बीते एक दशक से हो रहा है क्योंकि सोनभद्र के जिला मुख्यालय से दुद्धी के कई गांव 120 किलोमीटर से लेकर 150 किलोमीटर तक दूर हैं. लिहाजा यहां सुविधाओं का घोर अभाव है इसलिए इसे अलग से जिला बनाने की मांग है. दुद्धी जिला बनाओ संघर्ष समिति के प्रभु सिंह ने कहा कि  जो दुद्धी जिला की बात करेगा विधानसभा में राज करेगा इस मुद्दे को हम लोगों ने विगत चुनाव में भी उठाया था और यहां पर तमाम केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल कर्नल वीके सिंह, राजनाथ सिंह ने वादा किया था कि हमारा विधायक बनाइए, सरकार बनाइए जिला बनेगा. यहां के विधायक भी बने भारी बहुमत से सरकार भी बनी, लेकिन प्रदेश सरकार ने जिला बनाने की सुध नहीं ली और यहां तक कि हमारा डेलिगेशन जो विधायक के नेतृत्व में गया,उससे संतोषजनक ढंग से बात भी नहीं की गई, इसलिए इस मुद्दे को हम दोबारा उठा रहे हैं. हम लोग देख रहे हैं कि कौन-सा प्रत्याशी और कौन-सी पार्टी दुद्धी को जिला बनाने की प्राथमिकता के साथ काम  करेगा, उसी के लिए हम लोग काम करेंगे. जिला मुख्यालय से 120 किलोमीटर दूर होने की परेशानी बरखोरहा गांव के जगदीश यादव से समझी जा सकती है. जगदीश यादव को अपने इलाज के लिए राबर्ट्सगंज जाना पड़ता है, जो उनके गांव से 120 किलोमीटर दूर है और वहां तक पहुंचाने में 5 घंटे लगते हैं. बीमार मरीज के लिए ये सफर और पैसे दोनों के हिसाब से खराब है.

बरखोरहा निवासी जगदीश यादव  ने कहा कि हमारे यहां से जिला मुख्यालय 120 किलोमीटर दूर है. जाने का कोई साधन नहीं है. हम लोग यहां से टैंपो पकड़ के विंढमगंज जाते हैं, विंढमगंज के बाद दुद्धी, उसके बाद रावटसगंज जाते  हैं और यहां से जिला मुख्यालय दूर होने की वजह से चार पांच घंटे लगते हैं और कभी-कभी गाड़ी भी नहीं मिलती है. हम आंख दिखवाने जाना चाह रहे हैं. आंख बनवाने में समय लगता है, उधर से गाड़ी भी नहीं मिलती जिसकी वजह सेहम भटकते रह जाते हैं.  एक तरफ का भाड़ा भी ढाई सौ रुपयेलगता है. यानी आने-जाने में 500 रुपये लग जाता  है. बीजेपी की सरकार देख चुके हैं. 5 साल के कार्यकाल में इस क्षेत्र में कुछ विशेष ध्यान नहीं दिया गया. रोड इतनी खराब है कि चलते-चलते लगता है गिर जाएंगे. विंढमगंज तक भी रोड अच्छी नहीं है, बहुत खराब और जर्जर है. जिले तक जाने के लिए सुबह 5  बजे निकलना पड़ता है और कभी कभी गाड़ी न मिलने के कारण  रास्ते में ही रुकना पड़ता है.

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बरखोरहा की तरह दुद्धी के कई ऐसे कई गांव हैं, जो सोनभद्र जिला मुख्यालय से 120 किलोमीटर से लेकर 150 किलोमीटर तक दूर हैं.  प्रस्तावित दुद्धी जिले में 389 राजस्व गांव सम्मिलित हैं, जिसमें दुद्धी के 305 राजस्व ग्राम तथा तहसील राबर्ट्सगंज के चोपन व नवसृजित कोन ब्लाक के सोन नदी के दक्षिण में स्थित राजस्व ग्रामों को सम्मिलित किया गया है, जिसकी कुल आबादी 14 लाख तथा क्षेत्रफल 2380 वर्ग किलोमीटर है, जो उत्तर प्रदेश के कई जिलों से बड़ा है. यही वजह है की पूर्व की कई सरकारों ने इस मांग को जायज मना था.

दुद्धी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष  एडवोकेट जितेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि जिले का मुद्दा कोई नया मुद्दा नहीं है.  4 मार्च 1989 को तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी जिले का शिलान्यास करने के लिए आए हुए थे तो यहां की जनता की मांग को देखते हुए जिले को उन्होंने अस्थाई जिला घोषित किया और आचार्य कमेटी ने यहां की भौगोलिक स्थिति के बारे में सर्वे किया था. आचार्य कमेटी ने रिपोर्ट दी कि जिला मुख्यालय जब भी बने सोन नदी के दक्षिण में 10 -12 क्षेत्रों का उन्होंने उल्लेख किया था कि यहां जिला बनना चाहिए. लास्ट में उन्होंने अपना कंक्लूजन लिखा कि जिला यहां के लिए उपयोगी तभी होगा जब सोन नदी के दक्षिण भूभाग में जिला बन जाएगा.

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गौरतलब है कि दुद्धी को जिला बनाने का मुद्दा गरम है, जिसे लेकर प्रशासन भी सतर्क है. चुनाव में इसे लेकर कोई घटना घटित ना हो इसलिए दुद्धी जिला बनाओ संघर्ष समिति के नेताओं को नजरबंद किया जा रहा है, वहीं सभी पार्टी के लोग इस मुद्दे को लेकर अपने पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास कर रहे हैं.