नई दिल्ली:
पाकिस्तान के एक न्यायालय द्वारा मुम्बई आतंकवादी हमले पर एक न्यायिक आयोग द्वारा सौंपी गई रपट को मंगलवार को खारिज किए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सवाल उठाया कि क्या मुम्बई हमले के दोषियों को न्याय के कटघरे में खड़ा करने को लेकर पाकिस्तान की सरकार गम्भीर भी है।
भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "हमें जानकारी मिली है कि पाकिस्तान की एक अदालत ने मुम्बई आतंकवादी हमले पर एक न्यायिक आयोग द्वारा सौंपी गई रपट को मंगलवार को खारिज कर दिया है और उसे अवैध करार दिया है।"
उन्होंने कहा, "अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि सुनवाई के दौरान इस रिपोर्ट को सबूत भी नहीं माना जाएगा। क्या मुम्बई हमले से जुड़े मामलों को लेकर पाकिस्तान की सरकार गम्भीर भी है!"
सीतारमन ने हालांकि यह भी स्पष्ट किया कि वह पाकिस्तानी अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया नहीं दे रही हैं।
समाचार पत्र डान द्वारा जारी रपट के अनुसार रावलपिंडी के आतंकवाद निरोधी न्यायालय (एटीसी), न्यायिक आयोग के खिलाफ दायर एक याचिका की सुनवाई कर रहा था।
ज्ञात हो कि नवम्बर 2008 में 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा मुम्बई में किए गए हमले में 166 लोग मारे गए थे, जिसमें कई विदेशी भी शामिल थे।
न्यायालय ने रपट खारिज कर दी और भारत के उस कदम को अवैध करार दिया, जिसके तहत उसने आयोग को गवाहों से मिलने की अनुमति नहीं दी थी।
न्यायालय ने कहा कि आयोग की रपट को पाकिस्तान में आरोपित लोगों से सम्बंधित दस्तावेजों का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता। न्यायालय ने न्यायिक आयोग के काम को समय की बर्बादी बताया।
भाजपा प्रवक्ता निर्मला सीतारमन ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "हमें जानकारी मिली है कि पाकिस्तान की एक अदालत ने मुम्बई आतंकवादी हमले पर एक न्यायिक आयोग द्वारा सौंपी गई रपट को मंगलवार को खारिज कर दिया है और उसे अवैध करार दिया है।"
उन्होंने कहा, "अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि सुनवाई के दौरान इस रिपोर्ट को सबूत भी नहीं माना जाएगा। क्या मुम्बई हमले से जुड़े मामलों को लेकर पाकिस्तान की सरकार गम्भीर भी है!"
सीतारमन ने हालांकि यह भी स्पष्ट किया कि वह पाकिस्तानी अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया नहीं दे रही हैं।
समाचार पत्र डान द्वारा जारी रपट के अनुसार रावलपिंडी के आतंकवाद निरोधी न्यायालय (एटीसी), न्यायिक आयोग के खिलाफ दायर एक याचिका की सुनवाई कर रहा था।
ज्ञात हो कि नवम्बर 2008 में 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा मुम्बई में किए गए हमले में 166 लोग मारे गए थे, जिसमें कई विदेशी भी शामिल थे।
न्यायालय ने रपट खारिज कर दी और भारत के उस कदम को अवैध करार दिया, जिसके तहत उसने आयोग को गवाहों से मिलने की अनुमति नहीं दी थी।
न्यायालय ने कहा कि आयोग की रपट को पाकिस्तान में आरोपित लोगों से सम्बंधित दस्तावेजों का हिस्सा नहीं बनाया जा सकता। न्यायालय ने न्यायिक आयोग के काम को समय की बर्बादी बताया।
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