नई दिल्ली:
वन रैंक-वन पैंशन की मांग पर जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे पूर्व सैनिकों का साथ देने के लिए आज विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह की बेटी मृणालिनी सिंह भी धरने पर बैठ गईं। खास बात ये है कि मृणालिनी के पिता वीके सिंह न केवल वर्तमान में केंद्रीय मंत्री हैं, बल्कि पूर्व सेना अध्यक्ष भी हैं।
मृणालिनी ने जंतर मंतर पर इस विवादित मुद्दे के त्वरित समाधान की मांग करते हुए कहा, "मैं यहां पूर्व सैनिकों के मुद्दे को समर्थन देने आई हूं, क्योंकि मैं खुद भी एक पूर्व सैनिक की बेटी हूं। मुझे लगता है कि ओआरओपी को यथासंभव जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "मेरे दादाजी भी सैनिक थे और शायद मेरा बेटा भी सैनिक बने। मैं आशा करती हूं कि सरकार इस मांग पर जल्द ध्यान देगी। यह अर्से से लंबित मांग है। मैंने अपने पिता के साथ मिलकर इस मुद्दे को उठाया है। उन्होंने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है।"
पिछले दो महीने से अधिक समय से पूर्व सैनिक जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। दरअसल, पूर्व सैनिक वर्तमान सरकार को वादा पूरा करने के लिए कह रहे हैं जो उन्होंने चुनाव के पहले किया था।
वन रैंक-वन पैंशन की मांग पर जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे पूर्व सैनिकों का साथ देने के लिए रविवार को विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह की बेटी मृणालिनी सिंह भी धरने पर बैठ गईं। खास बात ये है कि मृणालिनी के पिता वीके सिंह न केवल वर्तमान में केंद्रीय मंत्री हैं, बल्कि पूर्व सेना अध्यक्ष भी हैं और तो और मृणालिनी के पति सेना में कर्नल हैं।
मृणालिनी से जब एनडीटीवी इंडिया ने पूछा कि आपके पिता तो सरकार में है और सरकार से पूर्व सैनिकों की खासी नाराजगी है कि वो अब तक इस वन रैंक वन वन पेंशन अब तक लागू नहीं की है तो इस पर उनका जबाब रहा कि मैं एक पूर्व सैनिक की बेटी और पुत्रवधु और सैनिक की पत्नी होने को नाते आई है और मेरा बेटा भी फौज में ही जायेगा। मेरी रगों में सैनिक का खून है और ये हमारे हक की लड़ाई है और पूर्व सैनिकों के साथ हूं मैं। मुझे उम्मीद है सरकार इसे जल्द से जल्द लागू करेगी। मैंने पिता से इस बारे में बात की है और उन्होंने तो प्रधानमंत्री को इस बारे में चिट्ठी भी लिखी है।
जंतर मंतर पर चल रहे धरने को 70 दिन पूरे हो चुके हैं। इस बीच धरना स्थल से कुछ ही मीटर दूर पूर्व सैनिकों का एक गुट बेमियादी धरने पर बैठ गया है। वॉयस ऑफ एक्स सर्विसमेन के बैनर तले बैठे इन पूर्व सैनिकों का दावा है कि वो जवानों के नुमांइदे हैं और सरकार अपनी बातचीत में उन्हें भी शामिल करे। पूर्व हवलदार वीर बहादुर सिंह कहते हैं, 'सेना में अफसरों का ही बोलबाला है। पहले सरकार हमारे मिलेट्री सर्विस पे अफसरों के बराबर करे और बातचीत में हमें शामिल करे फिर वन रैक वन पेंशन की बात हो।' वहीं युनाइटेड फ्रंट ऑफ एक्स सर्विसमेन के बैनर तले बैठे पूर्व सैनिकों को इसके पीछे गहरी साजिश लगती है। इंडियन एक्स सर्विसमेन मूवमेंट के चैयरमेन मेजर जनरल सतबीर सिंह कहते हैं कि हो सकता है कि सरकार के कुछ लोग जानबूझकर ऐसा कर करे हों अन्यथा ये लोग आज कहां से आकर आंदोलन करने लगेंगे।
पिछले दो महीने से अधिक समय से पूर्व सैनिक जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। दरअसल, पूर्व सैनिक वर्तमान सरकार को वही वादा पूरा करने के लिए कह रहे हैं जो उन्होंने चुनाव के पहले किया था लेकिन सरकार इसको लेकर कोई ताऱीख देने को तैयार नही है।
मृणालिनी ने जंतर मंतर पर इस विवादित मुद्दे के त्वरित समाधान की मांग करते हुए कहा, "मैं यहां पूर्व सैनिकों के मुद्दे को समर्थन देने आई हूं, क्योंकि मैं खुद भी एक पूर्व सैनिक की बेटी हूं। मुझे लगता है कि ओआरओपी को यथासंभव जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "मेरे दादाजी भी सैनिक थे और शायद मेरा बेटा भी सैनिक बने। मैं आशा करती हूं कि सरकार इस मांग पर जल्द ध्यान देगी। यह अर्से से लंबित मांग है। मैंने अपने पिता के साथ मिलकर इस मुद्दे को उठाया है। उन्होंने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है।"
पिछले दो महीने से अधिक समय से पूर्व सैनिक जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। दरअसल, पूर्व सैनिक वर्तमान सरकार को वादा पूरा करने के लिए कह रहे हैं जो उन्होंने चुनाव के पहले किया था।
वन रैंक-वन पैंशन की मांग पर जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे पूर्व सैनिकों का साथ देने के लिए रविवार को विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह की बेटी मृणालिनी सिंह भी धरने पर बैठ गईं। खास बात ये है कि मृणालिनी के पिता वीके सिंह न केवल वर्तमान में केंद्रीय मंत्री हैं, बल्कि पूर्व सेना अध्यक्ष भी हैं और तो और मृणालिनी के पति सेना में कर्नल हैं।
मृणालिनी से जब एनडीटीवी इंडिया ने पूछा कि आपके पिता तो सरकार में है और सरकार से पूर्व सैनिकों की खासी नाराजगी है कि वो अब तक इस वन रैंक वन वन पेंशन अब तक लागू नहीं की है तो इस पर उनका जबाब रहा कि मैं एक पूर्व सैनिक की बेटी और पुत्रवधु और सैनिक की पत्नी होने को नाते आई है और मेरा बेटा भी फौज में ही जायेगा। मेरी रगों में सैनिक का खून है और ये हमारे हक की लड़ाई है और पूर्व सैनिकों के साथ हूं मैं। मुझे उम्मीद है सरकार इसे जल्द से जल्द लागू करेगी। मैंने पिता से इस बारे में बात की है और उन्होंने तो प्रधानमंत्री को इस बारे में चिट्ठी भी लिखी है।
जंतर मंतर पर चल रहे धरने को 70 दिन पूरे हो चुके हैं। इस बीच धरना स्थल से कुछ ही मीटर दूर पूर्व सैनिकों का एक गुट बेमियादी धरने पर बैठ गया है। वॉयस ऑफ एक्स सर्विसमेन के बैनर तले बैठे इन पूर्व सैनिकों का दावा है कि वो जवानों के नुमांइदे हैं और सरकार अपनी बातचीत में उन्हें भी शामिल करे। पूर्व हवलदार वीर बहादुर सिंह कहते हैं, 'सेना में अफसरों का ही बोलबाला है। पहले सरकार हमारे मिलेट्री सर्विस पे अफसरों के बराबर करे और बातचीत में हमें शामिल करे फिर वन रैक वन पेंशन की बात हो।' वहीं युनाइटेड फ्रंट ऑफ एक्स सर्विसमेन के बैनर तले बैठे पूर्व सैनिकों को इसके पीछे गहरी साजिश लगती है। इंडियन एक्स सर्विसमेन मूवमेंट के चैयरमेन मेजर जनरल सतबीर सिंह कहते हैं कि हो सकता है कि सरकार के कुछ लोग जानबूझकर ऐसा कर करे हों अन्यथा ये लोग आज कहां से आकर आंदोलन करने लगेंगे।
पिछले दो महीने से अधिक समय से पूर्व सैनिक जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। दरअसल, पूर्व सैनिक वर्तमान सरकार को वही वादा पूरा करने के लिए कह रहे हैं जो उन्होंने चुनाव के पहले किया था लेकिन सरकार इसको लेकर कोई ताऱीख देने को तैयार नही है।
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