मध्यप्रदेश के रतलाम में इलाज के अभाव में एक वकील ने चलती बाइक पर दम तोड़ दिया. इस वकील को उसकी मां और भाई रतलाम के मेडिकल कालेज में ढाई घण्टे तक इलाज के लिए इंतजार करने बाद भी इलाज नहीं किए जाने पर किसी अन्य निजी हॉस्पिटल ले जा रहे थे. रास्ते मे मौत होने पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने एम्बुलेंस से वकील को जिला चिकित्सालय भेजा.
जानकारी के अनुसार, 40 वर्षीय वकील सुरेश डागर की तबियत खराब होने पर उनके भाई अनिल, मां के साथ बाइक पर लेकर मंगलवार सुबह 10.30 बजे मेडिकल कॉलेज पहुंचे थे. दो घंटे इंतज़ार के बाद भी उन्हें अंदर नही लिया गया. इसके बाद परिजन, वकील सुरेश को पास के एक निजी अस्पताल लेकर गए लेकिन वहां भी इलाज नहीं मिला.
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इलाज नहीं मिलने के बाद भाई और मां जब वकील सुरेश डागर को वापस बाइक पर लेकर राम मंदिर क्षेत्र से गुजर रहे थे तभी उनकी अचानक मौत हो गई.कोरोना पोजेटिव होने की शंका के चलते वकील की मां और भाई की कोई मदद नहीं कर रहा था. ऐसे में वहां डयूटी दे रहे पुलिसकर्मियों ने तत्काल एम्बुलेंस को बुलाया और अचेत वकील को एम्बुलेंस से जिला चिकित्सालय भेजा, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. वकील कोरोना का सस्पेक्टेड थे. उनके शव का कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किया गया.
जिस समय वकील सुरेश डागर मेडिकल कॉलेज में गेट नंबर 2 पर इलाज के लिए प्रतीक्षा कर रहे थे, उसी समय मेडिकल कॉलेज में 60 नए बेड वाले नए वार्ड के लिए 70 ऑक्सीजन कांसक्ट्रर मशीन देने को चेतन्य कश्यप फाउंडेशन के अध्यक्ष और रतलाम विधायक चेतन्य कश्यप ओर कलेक्टर गोपाल डाँड़ भी आये हुए थे. मेडिकल कालेज के डीन से लेकर अन्य स्टाफ विधायक और कलेक्टर के साथ लगा हुआ था. वकील के साथी वकीलों ने अपने दोस्त के इलाज के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल भी करने का प्रयास किया लेकिन न तो मेडिकल कॉलेज ओर न ही अन्य किसी हॉस्पिटल में वकील को इलाज के लिए बेड मिल सका.
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