17 साल सेना में नौकरी करने वाला 'शिव राज' में "नाबालिग किसान"!  सिस्टम से कर रहा दो-दो हाथ

जब मांगीलाल ने 2019 में अपने खेतों का सीमांकन करवाया तो पता लगा कि उन पर रिश्तेदारों ने अतिक्रमण किया है. जब कागज़ों में वो बालिग हो गये तो रिश्तेदारों ने जमीन की लड़ाई में तहसीलदार के फैसले पर आपत्ति लगा दी. एसडीएम कोर्ट ने फैसले में त्रुटि को आधार बनाते हुए मांगीलाल को फिर से नाबालिग बना दिया.

इंदौर:

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर (Indore) जिले के रहने वाले मांगीलाल मंडलोई फौज से रिटायर हो चुके हैं और अब अपने गांव खुड़ैल में खेती करते हैं लेकिन उन्हें सरकारी लाभ नहीं मिल पा रहा क्योंकि सरकारी कागजात में वो अभी भी नाबालिग ही हैं. वैसे मंडलोई नाना भी बन चुके हैं. तीन बच्चों के पिता मंडलोई सरकारी लापरवाही की वजह से ना तो खेती के लिये लोन ले पा रहे हैं और ना ही उनकी जमीन का नामांतरण हो पा रहा है.
     
मांगीलाल मंडलोई 27 मार्च 1997 को भारतीय सेना में भर्ती हुए थे. 2012 तक थल सेना में रहे फिर उसी साल वीआरएस ले लिया.  3 बच्चे हैं, 2 की शादी हो चुकी है. हाल ही में नाना भी बन चुके हैं लेकिन सरकारी कागजात में उनकी उम्र अभी 18 साल से कम ही है. इसे आप मानें या ना मानें  लेकिन सरकारी कागज़ यही कह रहे हैं.

मांगीलाल मंडलोई कहते हैं, "मेरी आयु 46 वर्ष है. मैं सरकारी दस्तावेजों में नाबालिग ही हूं. नाबालिग से बालिग होने के लिये मैंने आवेदन दिया था. आवेदन स्वीकार भी हुआ लेकिन फिर मैं नाबालिग बना दिया गया. जब जमीन मेरे नाम हुआ था तो मैं 8 साल का था, वही चला आ रहा है."

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रिटायर होने के बाद मांगीलाल 8 साल पहले अपने गांव खुड़ैल लौटे और खेती करने लगे. जब बैंक से लोन लेने गये तो पता लगा कि वो तो नाबालिग हैं. पटवारी रिकॉर्ड में बालिग होने के लिए तहसील कार्यालय में भू राजस्व संहिता की धारा 109, 110 में आवेदन किया. मार्च 2020 में तहसीलदार ने बालिग घोषित कर दिया. इसके बाद बैंक से केसीसी बना और लोन भी मिला. 

जब मांगीलाल ने 2019 में अपने खेतों का सीमांकन करवाया तो पता लगा कि उन पर रिश्तेदारों ने अतिक्रमण किया है. जब कागज़ों में वो बालिग हो गये तो रिश्तेदारों ने जमीन की लड़ाई में तहसीलदार के फैसले पर आपत्ति लगा दी. एसडीएम कोर्ट ने फैसले में त्रुटि को आधार बनाते हुए मांगीलाल को फिर से नाबालिग बना दिया.

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पूछने पर एसडीएम रवीश श्रीवास्तव ने कहा कि भू राजस्व संहिता के प्रावधान अपील का निराकरण किया गया था. अगर वो असंतुष्ट हैं तो आगे की अदालत में निराकरण के लिये जा सकते हैं.  मांगीलाल 8 साल की लड़ाई जीतकर, हारने और फिर से उसे जीतने की तैयारी में है लेकिन इस बीच लोन और सरकारी योजनाएं हासिल नहीं कर पा रहे हैं. मांगीलाल कहते हैं, "मुझे लोन नहीं मिल पा रहा है. केसीसी नहीं बन पा रहा है. जमीन पर कृषि अनुदान नहीं मिल पा रहा है." 
    
आपके जानकर हैरत होगी कि सरकारी कागजों में बालिग होकर भी नाबालिग रहने वाले मांगीलाल मध्य प्रदेश में अकेले नहीं हैं. हजारों किसान हैं जो तहसीलदार की फाइल में नाबालिग होते हुए दुनियां से चले गये लेकिन आश्चर्यजनक यह है कि  वोट देते वक्त ये बालिग हो जाते हैं लेकिन अपनी जमीन के लिए इन्हीं सालों पुराने भू-राजस्व के कागजी नियमों के सामने खुद के बालिग होने की लड़ाई लड़नी पड़ती है. सिस्टम ये कहकर पल्ला झाड़ लेता है कि उनके पास अपील का अधिकार है लेकिन सालों की कानूनी लड़ाई का वक्त और पैसा कहां से आएगा? इस बारे में सिस्टम मौन है.
 

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