अहमदाबाद:
गुजरात के लोकायुक्त पद पर न्यायमूर्ति (सेवानिवृत) आरए मेहता की नियुक्ति को चुनौती देने वाली अपनी पुनर्विचार याचिका खारिज हो जाने के बाद गुजरात सरकार ने शीर्ष न्यायालय में अब एक ‘उपचारात्मक याचिका’ (क्यूरेटिव पिटीशन) दायर करने का फैसला किया है।
गुजरात सरकार के प्रवक्ता और वित्तमंत्री नितिन पटेल ने बताया, ‘‘उच्चतम न्यायालय द्वारा पुनर्विचार याचिका खारिज करने के आदेश को चुनौती देने के लिए सोमवार को हम उपचारात्मक याचिका दायर करेंगे। कानूनी विकल्प के तौर पर यह अब भी हमारे पास बचा है।’’
पटेल ने कहा, ‘‘हमें आज शाम करीब पांच बजे फैसले की प्रति मिली और कानूनी विशेषज्ञों से विचार-विमर्श के बाद हम उपचारात्मक याचिका दायर करने जा रहे हैं।’’ गौरतलब है कि गुरुवार को न्यायमूर्ति बीएस चौहान और न्यायमूर्ति एफएम इब्राहीम कलीफुल्ला की पीठ ने गुजरात सरकार की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी।
इस बीच, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और गुजरात परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष केशुभाई पटेल ने उच्चतम न्यायालय द्वारा राज्य सरकार की पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने का स्वागत किया है।
केशुभाई ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने पहले गुजरात उच्च न्यायालय के निर्णय को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जिसने उच्च न्यायालय के निर्णय को बरकरार रखा, फिर राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय के निर्णय को चुनौती देते हुए पुनर्विचार याचिका दायर की और अब उसे भी खारिज कर दिया गया। राज्य सरकार अपने भ्रष्टाचार को छुपाना चाहती है और इसलिए वह पिछले नौ साल से लोकायुक्त की नियुक्ति के मुद्दे को लटकाती रही है।’’
गुजरात सरकार के प्रवक्ता और वित्तमंत्री नितिन पटेल ने बताया, ‘‘उच्चतम न्यायालय द्वारा पुनर्विचार याचिका खारिज करने के आदेश को चुनौती देने के लिए सोमवार को हम उपचारात्मक याचिका दायर करेंगे। कानूनी विकल्प के तौर पर यह अब भी हमारे पास बचा है।’’
पटेल ने कहा, ‘‘हमें आज शाम करीब पांच बजे फैसले की प्रति मिली और कानूनी विशेषज्ञों से विचार-विमर्श के बाद हम उपचारात्मक याचिका दायर करने जा रहे हैं।’’ गौरतलब है कि गुरुवार को न्यायमूर्ति बीएस चौहान और न्यायमूर्ति एफएम इब्राहीम कलीफुल्ला की पीठ ने गुजरात सरकार की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी।
इस बीच, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री और गुजरात परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष केशुभाई पटेल ने उच्चतम न्यायालय द्वारा राज्य सरकार की पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने का स्वागत किया है।
केशुभाई ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने पहले गुजरात उच्च न्यायालय के निर्णय को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जिसने उच्च न्यायालय के निर्णय को बरकरार रखा, फिर राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय के निर्णय को चुनौती देते हुए पुनर्विचार याचिका दायर की और अब उसे भी खारिज कर दिया गया। राज्य सरकार अपने भ्रष्टाचार को छुपाना चाहती है और इसलिए वह पिछले नौ साल से लोकायुक्त की नियुक्ति के मुद्दे को लटकाती रही है।’’
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