प्रधानमंत्री के भाषण के शब्दों को संसदीय कार्रवाही से हटाना दुर्लभ घटना है
खास बातें
- PM ने NPR पर “झूठ” फैलाने का आरोप लगाया था
- “झूठ” असंसदीय शब्द है इसलिए इसे सदन की कार्यवाही से हटाया गया
- सदन की कार्यवाही के दौरान ऐसी घटनाएं दुर्लभ मानी जाती हैं
नई दिल्ली: गुरुवार को पीएम मोदी ने राज्यसभा में विपक्ष पर जमकर हमला बोला. नागरिकता कानून से लेकर एनपीआर तक कई मुद्दों को लेकर विपक्ष के गतिरोध पर सवाल उठाए. इस दौरान पीएम मोदी के भाषण से एक शब्द सदन की कार्यवाही से निकाल दिया गया. पीएम मोदी ने विपक्ष पर एनपीआर को लेकर झूठ फैलाने का आरोप लगाया था. 'झूठ' असंसदीय शब्द है इसलिए इसे निकाल दिया गया. राष्ट्रपति के अभिभाषण पर राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शाम 6 बजकर 20 मिनट पर सभापति को संबोधित करते हुए कहा कि किन जिलों से ज्यादा माइग्रेशन हो रहा है, किन जिलों से लोग जिला छोड़कर जा रहे हैं, इसकी जानकारी के बिना उन जिलों के डेवलेपमेंट को आप प्राथमिकता नहीं दे सकते हैं. इसके लिए यह आवश्यक है.
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पीएम मोदी ने राज्यसभा में कहा इतनी अफवाहें फैला रहे हैं, लोगों को गुमराह कर रहे हैं, आपने तो 2010 में एनपीआर लाया. हम 2010 से यहां बैठे हैं, क्या इसी एनपीआर को ले करके हमने किसी के लिए सवालिया निशान खड़ा किया है?. रिकॉर्ड तो हमारे पास हैं। क्या नहीं हैं? आप क्यों 'झूठ' बोल रहे हैं, क्यों मूर्ख बना रहे हैं.
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प्रधानमंत्री के भाषण के शब्दों को संसदीय कार्रवाही से हटाना दुर्लभ घटना है. ऐसा बहुत कम ही हुआ है. 2013 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के भाषण के कुछ अंश भी राज्य सभा की कार्यवाही से निकाले जा चुके हैं. तब तत्कालीन विपक्ष के नेता अरुण जेटली के भाषण के कुछ अंश भी हटाए गये थे. इस बार भी ऐसी ही हुआ है. विपक्ष के नेता ग़ुलाम नबी आजाद के भाषण से भी एक शब्द निकाला गया है. उन्होंने गुमराह शब्द का प्रयोग किया था जोकि असंसदीय श्रेणी में आता है.
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