बेंगलुरू में रहने के लिए किराए पर मकान लेना आसान नही है.यहां 10 माह से एक साल का किराया एडवांस में देना पड़ता है यानी अगर फ्लैट का किराया 30 हज़ार है तो एडवांस 3 लाख से 4 लाख के बीच. ऐसे में कर्नाटक सरकार, केंद्र के मॉडर्न टेनेंसी एक्ट (Model Tenancy Act) को लागू करना चाहती है लेकिन मकान मालिक इसके पक्ष में नहीं दिख रहे. एक अनुमान के अनुसार, कोरोना की वजह से सिर्फ बेंगलुरू शहर में 4 लाख के आसपास किराए की जगह खाली है. इस समय आप बेंगलुरू में कहीं भी जाए To Let का बोर्ड हर गली-मोहल्ले में मिल जाएगा. अपार्टमेंट हो या फिर परंपरागत घर, खाली होने के बाद सबसे बड़ी वजह 10 से 12 महीने का एडवांस किराया हैयानी अगर आप के घर का किराया 25 हज़ार रुपया माह है तो आपको ढाई से 3 लाख रुपया एडवांस देना होगा जिसका ब्याज भी आपको वापसी के वक़्त नहीं मिलेगा.
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मॉडर्न टेनेंसी एक्ट में यह हैं प्रावधान: ऐसे में राज्य सरकार मॉडर्न टेनेंसी एक्ट, कर्नाटक में लागू करना चाहती है जिसका विरोध शरू हो गया है. इसमें सिर्फ 2 महीने के किराए के एडवांस की बात कही गई है. राजस्व सचिव एम मंजूनाथ कहते हैं, 'नया कानून दोनों ही पक्षों के लिए फायदेमंद होगा. जहां पहले 10 से 12 महीने के एकमुश्त एडवांस किराए की बात थी, अब सिर्फ 2 माह की रेजिडेंशियल प्रॉपर्टीज में किराया देना होगा.' कैबिनेट की अगली बैठक में नए कानून पर मुहर लगने की संभावना है. इसके तहत अब 10 से 12 महीने की जगह सिर्फ 2 महीने का किराया ही एडवांस के तौर पर मकान मालिक ले सकेंगे जबकि व्यावसायिक जगहों जैसे दुकानों, रेस्टोरेंट्स, बैंक के लिए एडवांस की रकम छह महीने की होगी.
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मकान मालिक के लिए ज़रूरी होगा कि वो रेंट अग्रीमेंट को राजस्व विभाग के वेबसाइट पर अपलोड करे और दोनों पक्ष इसको देख पाएंगे. बहरहाल, कुछ मकान मालिक इस एक्ट का विरोध कर रहे हैं. एक मकान मालिक, डॉ वी शारदा ने कहा, 'यह मकान मालिकों के लिए ठीक कानून नहीं है. अब से हमारे पास 2 महीने की एडवांस रकम होगी. किसी ने तीन-चार महीने से किराया नहीं दिया तो क्या हम उसको कोर्ट में जाकर के निपटारा करें, यह ठीक नहीं है. दरअसल मकान मालिक 10 से 12 महीने का किराया बैंकों और दूसरी जगहों पर निवेश कर उससे भी सालाना अच्छी रकम कमा लेते हैं, अब ये अवसर उनके हाथ से निकलने जाने वाला है, ऐसे में वो खुश नही है.10 से 12 महीने का किराया एडवांस में जमा करना यानी किराए में रहने के लिए भी एक मोटी रकम का पहले इंतजाम करना है. वैसे, मकान मालिकों के तमाम विरोध के बावजूद सरकार अगर पुराने कानून में संशोधन करवाने में कामयाब होती है तो निश्चित रूप से आम लोगों को काफी राहत मिलेगीण्
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