सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों की नियुक्ति के मुद्दे पर विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है. लेकिन इस बार सुप्रीम कोर्ट और केंद्र आमने सामने नहीं हैं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस जे चेलामेश्वर ने ही कोलेजियम में पारदर्शिता न होने के सवाल उठाए हैं.
जस्टिस जे चेलामेश्वर खुद भी कोलेजियम के सदस्य हैं लेकिन गुरुवार को चीफ जस्टिस की अगुवाई में होने वाली कोलेजियम की बैठक में वे नहीं गए. हालांकि इस दौरान चीफ जस्टिस और बाकी तीनों वरिष्ठ जज मौजूद रहे. कोलेजियम में केंद्र के भेजे नए एमओपी पर चर्चा होनी थी लेकिन यह बैठक रद्द कर दी गई.
सूत्रों के मुताबिक जस्टिस चेलामेश्वर ने इस बारे में चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर को तीन पेज की चिट्ठी भी लिखी है और कोलेजियम में पारदर्शिता न होने की बात कही है. साथ ही कहा है कि कोलेजियम की बैठक में हुई बातों का रिकार्ड उन्हें भेजा जाए और वे उसी पर अपना मत रिकार्ड कर चीफ जस्टिस को भेज देंगे.
गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के नेशनल ज्यूडिशियल अपाइंटमेंट कमीशन (एनजेएसी) को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था. उसमें भी चार जजों ने अलग, जस्टिस चेलामेश्वर ने अलग फैसला सुनाया था और कोलेजियम पर सवाल उठाए थे. अपने फैसले में उन्होंने लिखा था कि लोग पारदर्शिता चाहते हैं और कोलेजियम में भी यह होना चाहिए. कोलेजियम की बैठक में क्या हुआ यह कभी सामने नहीं आता. वे इस बात के भी खिलाफ थे कि जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में सरकार की हिस्सेदारी नहीं होनी चाहिए.
जस्टिस जे चेलामेश्वर खुद भी कोलेजियम के सदस्य हैं लेकिन गुरुवार को चीफ जस्टिस की अगुवाई में होने वाली कोलेजियम की बैठक में वे नहीं गए. हालांकि इस दौरान चीफ जस्टिस और बाकी तीनों वरिष्ठ जज मौजूद रहे. कोलेजियम में केंद्र के भेजे नए एमओपी पर चर्चा होनी थी लेकिन यह बैठक रद्द कर दी गई.
सूत्रों के मुताबिक जस्टिस चेलामेश्वर ने इस बारे में चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर को तीन पेज की चिट्ठी भी लिखी है और कोलेजियम में पारदर्शिता न होने की बात कही है. साथ ही कहा है कि कोलेजियम की बैठक में हुई बातों का रिकार्ड उन्हें भेजा जाए और वे उसी पर अपना मत रिकार्ड कर चीफ जस्टिस को भेज देंगे.
गौरतलब है कि पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने केंद्र सरकार के नेशनल ज्यूडिशियल अपाइंटमेंट कमीशन (एनजेएसी) को असंवैधानिक करार देते हुए रद्द कर दिया था. उसमें भी चार जजों ने अलग, जस्टिस चेलामेश्वर ने अलग फैसला सुनाया था और कोलेजियम पर सवाल उठाए थे. अपने फैसले में उन्होंने लिखा था कि लोग पारदर्शिता चाहते हैं और कोलेजियम में भी यह होना चाहिए. कोलेजियम की बैठक में क्या हुआ यह कभी सामने नहीं आता. वे इस बात के भी खिलाफ थे कि जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में सरकार की हिस्सेदारी नहीं होनी चाहिए.
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