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पेपर लीक मामले में सुरक्षाकर्मी की गिरफ्तारी पर छिड़ी जंग, गहलोत के पूर्व OSD बोले- फिर से मठाधीश बनने का सपना

पूर्व मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत के बयान को लेकर उनके पूर्व ओएसडी रहे लोकेश शर्मा ने तंज कसते हुए कहा, "श्रीमान के मुख्यमंत्री रहते हुए ऐसा हुआ होता तो यही शब्द होते 'अपना आदमी है'.  

पेपर लीक मामले में सुरक्षाकर्मी की गिरफ्तारी पर छिड़ी जंग, गहलोत के पूर्व OSD बोले- फिर से मठाधीश बनने का सपना
  • एसआई भर्ती पेपर लीक मामले में हेड पुलिस ने कांस्टेबल राजकुमार यादव और उसके बेटे को गिरफ्तार किया है.
  • राजकुमार यादव पूर्व सीएम अशोक गहलोत के निजी सुरक्षा अधिकारी रह चुके हैं और जयपुर पुलिस आयुक्तालय में तैनात थे.
  • मामले की जांच एसओजी कर रही है और अब तक 120 आरोपियों सहित 54 प्रशिक्षु उप निरीक्षक गिरफ्तार किए जा चुके हैं
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नई दिल्‍ली :

राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने उपनिरीक्षक (एसआई) भर्ती परीक्षा 2021 के पेपर लीक मामले में हेड कांस्टेबल राजकुमार यादव और उसके बेटे भरत यादव को गिरफ्तार किया है. आरोपी हेड कांस्टेबल राजकुमार पुलिस आयुक्तालय जयपुर में तैनात है और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) रह चुका है. इसे लेकर गहलोत कहा कि कानून अपना काम करेगा. वहीं उनके ओएसडी रह चुके लोकेश शर्मा ने पूर्व मुख्‍यमंत्री पर तंज कसा है. 

इसे लेकर पूर्व मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत ने 'एक्स' पर लिखा, “मीडिया के माध्यम से जानकारी में आया है कि मेरी सुरक्षा में तैनात जयपुर पुलिस लाइन के एक हेड कांस्टेबल और उनके पुत्र को एसओजी ने हिरासत में लिया है.”

गहलोत के बयान पर लोकेश शर्मा का तंंज 

गहलोत ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की अपराध में कोई संलिप्तता हो तो कानून अपना काम करे, मुझे आशा है कि एसओजी बिना किसी दबाव के इस मामले की जांच कर एक तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचेगी. 

गहलोत के इस बयान को लेकर उनके पूर्व ओएसडी रहे लोकेश शर्मा ने तंज कसते हुए कहा, श्रीमान के मुख्यमंत्री रहते हुए ऐसा हुआ होता तो यही शब्द होते 'अपना आदमी है' जैसे रीट पेपर लीक मामले में तत्कालीन अध्यक्ष जारोली के लिए बोला था. अपना आदमी है, अपना आदमी है के चक्कर में पेपर लीक और परीक्षाओं में भ्रष्टाचार और धांधली कर प्रदेश के युवाओं के भविष्य को बर्बाद करने वाले असल गुनहगार आज भी भविष्य में मठाधीश बनने के ख्वाब लिए फड़फड़ा रहे हैं. प्रदेश के युवाओं को आज भी न्याय का इंतजार है."

इस मामले में गिरफ्तार दोनों आरोपियों को 12 अगस्त तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है. 

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पुलिस पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे

पुलिस के अनुसार, इस मामले में गिरफ्तार प्रोबेशनर उप निरीक्षक सत्येंद्र सिंह यादव से पूछताछ के दौरान सामने आया कि उसने प्रश्न पत्र परीक्षा से पहले ही आयुक्तालय जयपुर में तैनात हैड कांस्टेबल राजकुमार यादव से ले लिया था. 

जांच में राजकुमार यादव द्वारा अपने बेटे भरत और परिचित रविन्द्र सैनी को भी लिखित परीक्षा से पहले ही उक्त लीक प्रश्नोत्तर सेट पढ़ाने की बात सामने आई है.  

पुलिस अनुसार राजकुमार यादव से मिले प्रश्नोत्तर सेट को परीक्षा से पहले पढ़कर सत्येंद्र सिंह मैरिट में क्रमांक 12 पर और रविन्द्र सैनी 156 पर रहा और अविधिक रूप से उपनिरीक्षक के पद पर चयनित हुए. भरत यादव अविधिक रूप से उपनिरीक्षक की लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण हुआ था. हालांकि वह शारीरिक दक्षता परीक्षा में विफल रहा.

महेंद्रजीत मालवीया का भी रह चुका है PSO

हेड कांस्टेबल राजकुमार, गहलोत के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान उनकी सुरक्षा में कार्यरत था और राज्य में भाजपा के सत्ता में आने के बाद भी उनके पीएसओ के रूप में कार्यरत रहा. वह पूर्व कैबिनेट मंत्री महेंद्रजीत मालवीया का पीएसओ भी रह चुका है. 

पुलिस के अनुसार, यादव मालवीया के तत्कालीन निजी सचिव कुंदन कुमार पांड्या से परिचित थे. जिन पर तत्कालीन राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) के सदस्य बाबूलाल कटारा से लीक हुआ एसआई भर्ती पेपर प्राप्त करने का आरोप है. पंड्या ने कथित तौर पर पेपर अपने दो साथियों को दिया जिनमें से एक राजकुमार यादव था.

इसी मामले में एसओजी ने पांच जून को पांड्या को गिरफ्तार किया था.

कई अधिकारियों और बिचौलियों की गिरफ्तारी

उल्लेखनीय है कि इस भर्ती परीक्षा पेपर लीक मामले की जांच एसओजी कर रही है जिसके चलते कई सरकारी अधिकारियों और बिचौलियों की गिरफ्तारी हुई है. 

राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) ने 2021 में सब इंस्पेक्टर और प्लाटून कमांडर के 859 पदों के लिए विज्ञापन दिया था. भर्ती परीक्षा के दौरान पेपर लीक के आरोप सामने आए, जिसके बाद सरकार ने राजस्थान पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) को जांच सौंप दी. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस प्रकरण में अब तक 54 प्रशिक्षु उप निरीक्षक सहित कुल 120 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं. 

राजस्थान सरकार ने उक्त परीक्षा रद्द करने या न करने का फैसला लेने के लिए पिछले साल एक कैबिनेट उप-समिति का गठन किया था. समिति ने उच्च न्यायालय में कहा कि मामले की जांच अभी भी जारी है, इसलिए परीक्षा रद्द करना उचित नहीं होगा. 

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