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This Article is From Mar 21, 2011

'कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघनों पर रोक लगे'

New Delhi: निगरानी संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने जम्मू एवं कश्मीर में कथितरूप से हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों पर भारत की आलोचना की है और उस विवादास्पद कानून को समाप्त करने की मांग की है, जिसके तहत संदिग्धों को अदालत में बगैर पेश किए ही वर्षों तक हिरासत में रखे जाने की व्यवस्था है। एमनेस्टी इंटरनेशनल द्वारा सोमवार को जारी की गई 70 पृष्ठों की रिपोर्ट में जम्मू एवं कश्मीर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) पर खासतौर से प्रकाश डाला गया है। रिपोर्ट में पीएसए को अवैध कानून करार दिया गया है। जम्मू एवं कश्मीर पर 2000 से लेकर अब तक पहली बार जारी हुई इस रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य प्रशासन किस तरह से लोगों को एक बार में वर्षों तक हिरासत में रखने के लिए इस विवादास्पद कानून का इस्तेमाल कर रहा है। ऐसे लोगों को न तो अदालत में पेश किया जाता है और न तो उन्हें भारतीय संविधान में प्रदत्त बुनियादी मानवाधिकार ही उपलब्ध कराए जाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, "पीएसके के तहत पिछले दो दशकों के दौरान हिरासत में लिए गए लोगों की संख्या 8,000 से 20,000 तक रही है।" जनवरी और सितम्बर 2010 के बीच इस विवादास्पद कानून के तहत 322 लोगों को हिरासत में लिया गया था। यह कानून जिलाधिकारियों को इस बात के अधिकार देता है कि वे किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को दो वर्षो तक हिरासत में रख सकते हैं। यह रिपोर्ट पिछले वर्ष मई में कराए गए अध्ययन और 2003 व 2010 के बीच पीएसए के तहत हिरासत में लिए गए 600 से अधिक लोगों से सम्बंधित सरकारी एवं कानूनी दस्तावेजों के विश्लेषण पर आधारित है। रिपोर्ट में कहा गया है, "पीएसए के तहत संदिग्धों को बिना पर्याप्त सबूत के कैद कर भारत ने न केवल मानवाधिकारों का बुरी तरह उल्लंघन किया है, बल्कि वह ऐसे लोगों को आरोपित करने व उन पर मुकदमा चलाने तथा दोषी पाए जाने पर उन्हें दंडित करने का अपना कर्तव्य निभा पाने में भी विफल रहा है।" रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य प्रशासन इस कानून को अक्सर मनमाने तरीके से लागू करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कई मामलों में उच्च न्यायालय ने हिरासत आदेशों को रद्द कर दिया है, लेकिन प्रशासन ने संदिग्धों को आपराधिक आरोपों के तहत हिरासत में लेकर या दूसरे हिरासत आदेशों को जारी कर लगातार अदालत के आदेशों का उल्लंघन किया है। एमेनेस्टी इंटरनेशनल ने सिफारिश की है कि भारत, पीएसए को वापस ले और अनधिकृत हिरासत की परम्परा को बंद करे तथा तत्काल ऐसी व्यवस्था लागू करे कि हिरासत में रखे गए लोगों को किसी दंडाधिकारी के समक्ष पेश किया जाए। एमेनेस्टी ने कहा है कि हिरासत में रखे गए सभी लोगों के खिलाफ किए गए सभी कथित मानवाधिकार उल्लंघनों की एक स्वतंत्र जांच कराई जाए। इसके साथ ही निगरानी संस्था ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों एवं दलों को राज्य के दौरे की अनुमति दी जाए।

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